________________
43+AAA
श्रीजिनानां पुस्तकलि नख चान्तराषि
त्ख
निर्वाण, तिवारपछी त्रण वर्ष साडा आठ मास बैंतालीस हजार वर्ष ओछां एक लाख क्रोड सागरोपमें श्रीवीर निर्वाण, तिवारपछी नवसो एंसी वर्षे पुस्तकवाचनादि ॥ ४ ।।
श्रीसंभवनाथना निर्वाण पछी दश लाख कोडी सागरोपमें श्रीअभिनंदन निर्वाण, तिवारपछी त्रण वर्ष | साडाआठ मास बेंतालीस हजार वर्ष ओछां एवा दश लाख कोडी सागरोपमें श्रीवीर निर्वाण, तेवारपछी नवसो एंसी वर्षे पुस्तकवाचनादि ३ । श्रीअजितनाथना निर्वाणथी त्रीस लाख कोडि सागरोपमें श्रीसंभवनाथ निर्वाण, तेवारपछी त्रण वर्ष साडाआठ मास तथा बेंतालीस हजार वर्ष ओछां एवा वीश लाख कोडी सागरोपमें श्रीवीर निर्वाण, तेवारपछी नवसो एंसी वर्षे पुस्तकवाचनादि २ । श्रीऋषभना निर्वाणथी पचास लाख कोडि सागरोपमें श्रीअजित निर्वाण, तेवारपछी त्रण वर्ष साडा आठ मास बेंतालीस हजार वर्ष ओछां | एवा पचास लाख क्रोड सागरोपमें श्रीमहावीर निर्वाण, तेवारपछी नवसो एंसी वर्ष पुस्तकवाचनादि १॥ __अथास्यामवसर्पिण्या प्रथमधर्मप्रवर्तकत्वेन परमोपकारित्वात् किञ्चिद्विस्तरतः श्रीऋषभदेवचरित्रं प्रस्तौति(तेणं कालेणं ) तस्मिन् काले (तेणं समएणं) तस्मिन् समये (उसमे णं अरहा) ऋषभः अर्हन् , कीदृशः ?(कोसलिए ) कोशलायां-अयोध्यायां जातः कौशलिकः (चउउत्तरासाढे अभीइपंचमे हुत्था ) चतुर्यु उत्तराषाढा यस्य स चतुरुत्तराषाढः अभिजिन्नक्षत्रे पञ्चमं कल्याणकं अभवत् ॥ (२०४)॥
AAE+