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________________ नूपुरपंडितोदाहरणं विलक्खीकओ, तो थेरस्स ताए अद्धितीए निद्दा गट्ठा, रण्णो य कण्ण गतं, रण्णा सद्दावेऊण अंतेउरपालओ कओ, अभिसेकिं च हत्थिरयणं वासघरस्स हेट्ठा बद्धं चिट्ठइ, इओ य एगा देवी हथिमिथे आसत्ता, णवरं हतं थेरो पेच्छइ, चिंतियं चऽणेण-एवं चौँ रक्खेज्जमाणीओ एताओ एवं विहरति किंनु पायताओ सदा सच्छंदाउत्ति पसुत्तो, पभाए सव्वलोगो उडिओ, सोण उद्वेइ, रण्णो २ अध्ययने कहियं, रण्णा भणियं-सुबउ, चिरस्सविय उद्दविओ, पुच्छिओ य, कहिय-सव्वं भणति, भणति- जहा एगा देवी, ण याणामि कतरावि, तओ राइणा भंडहत्थी कारिओ, भणियाओ- एतस्स अच्चणिय काऊणं उलंडेह, सव्वाहिं उलेंडिओ, एगाणेच्छइ, ॥९१॥ भणइ य- अहं बीहेमि, तओ रण्णा उप्पलेणाहया, पडिया, रण्णा जाणिया एसा कारित्ति, भणिय चणेण-मत्तंगतआरुहंतीए भंडमयस्स गयस्स बीहेहि (हन्तीए) । तत्थ ण मुच्छिय संकलाहया, एत्थऽसि मुच्छिय उप्पलाया।॥१॥ तओ सरीरं जोइय, जाव संकलप्पहारो दिट्ठो, तओ रुद्वेण रण्णा देवी मेंठो य हत्थी य तिण्णिवि छिण्णकडगे चडावियाणि, भणिओ य मिठो-एत्थं वाहेहि, हत्थीस्स दोहि य पासहिं वेलुअग्गहाओ ठिया, जाव एगो पाओ आगासे ठविओ, जणो भणइ-किं एस तिरिओ जाणइ ?, एताणि मारेतव्वाणि, तहवि राया रोसं न मुयइ, तओ तिण्णि पादा आगासे कया, एगेण ठिओ, लोगेण य कओ अकंदो, किं ट्रात हस्थिरतणं विणासिज्जइ १, रण्णा मेंठो भणिओ- तरसि नियत्तेउं ?, भणइ- जइ दुयगाण अभयं देसि, दिण्णो, नियत्तिओ हत्थी अंकुसेण, एवं जहा से णागो तेण मिठेण तमावई पाविओवि एरिसे ठाणे अंकुसेण आहओ जेण पादं भमाडेऊण चउसुवि जापादेसुवि धरणितले ठिओत्ति, तहा रहनेमीवि रायमतीए संसारभउव्वेगकरेहिं वयणेहिं तहा अणुसासिओ जेण संजमं पुणरवि संपडिवण्णोत्ति ।। SARASWARA
SR No.600287
Book TitleDashvaikalik Churni
Original Sutra AuthorJindasgani Mahattar
Author
PublisherRushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha
Publication Year1933
Total Pages384
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_dashvaikalik
File Size9 MB
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