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________________ चूर्णी श्रीदश- कयपडिकइया दुक्खत्तस्स गवेसणं देसकालण्णुया सव्वत्थेसु अणुलोयमात्ति, तत्थ अन्भासे अच्छणं नाम आयरियाण सीसो निज्ज- अभ्यन्तरे वकालिक रट्ठाए इंगिएण अभिप्पायं नाऊण जहिच्छियं उववायइस्सामित्ति काउण आयरियस्स अब्भासे अच्छइ, तत्थ छंदाणुवत्तणं नाम | वैयावृत्त्य| आयरियाण सीसेग कालं तुलेऊणं आहारउवहिउवस्सगाणं उववायणं कायचं, कारियनिमित्तकरणं नाम पसण्णा हु आयरिया स्वाध्यायौ १अध्ययन सविसेस सुत्तत्थतदुभयाणि दाहितित्तिकाऊणं तारिसाणि अणुकूलाणि करेइ जेण तेसिं आयरियाण चित्तप्पसाओ जायइ, कयपडि॥२८॥ क्कइया णाम जइवि निज्जरत्थं करेइ ततोवि मम एस कारेहितित्ति काउं विणयं करेइ, सेसाणि दुक्खत्तस्स गवेसणाईणि पसिद्धाणि चेव काऊण नो भणियाणि, अहवा एसो सव्वो चेव विणओ नाणदंसणचरित्ताणं अव्वतिरित्तोत्तिकाऊण तिविहो चेव भाणियव्यो, | त०-नाणविणओ दंसणविणओ चरित्तविणओ ॥ विणओगओ॥ इदाणिं वेयावच्चं, तं च इमेहिं कारणेहिं कज्जइ, तं०- अण्णपाणवत्थपत्तपडिस्सयपीढफलगसंथारप्पगादीहिं धम्मस्स साहणेहि, तं च कस्स कज्जइ १, इमेसि दसहं, त. आयरियउवज्झाया थेर तवस्सि गिलाण सिक्खग साहम्मिय कुलगणसंघेसु, तत्थ आयरिओ पंचविहो, तं०-पव्वावणायरिओ सुत्तस्स उद्दिस्सणायरिओ समुद्दिस० अणुण्णा वायणायरिओत्ति, उवज्झाओ पसिद्धो चेव, थेरो नाम जो गच्छस्स सथितिं करेइ, जो तिसुत परियागाइसु वा थेरो,तबस्सिणाम जो उग्गतवचरणरतो, गिलाणो |णाम रोगाभिभूओ, सिक्खगो नाम जो अहुणा पव्वइयओ, साहम्मिओ नाम एगो पवयणओ ण लिंगतो,एगो लिंगओन पवयणओ, कुलगणसंघा पसिद्धा चेव । इदाणिं सज्झाओ, सो पंचविधो, तं०-चायणा पुच्छणा परियट्टणा अणुप्पेहा धम्मकहा, वायणा ti Pणाम सिस्सस्स अज्झावणं, पुच्छणा सुत्तस्स अत्थस्स वा भवति, परियणं णाम परियट्टणंति वा अन्भसणंति वा गुणणंति वा एगट्ठा, 1-% * %
SR No.600287
Book TitleDashvaikalik Churni
Original Sutra AuthorJindasgani Mahattar
Author
PublisherRushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha
Publication Year1933
Total Pages384
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_dashvaikalik
File Size9 MB
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