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________________ P % 5 धिकार श्रीदश भणिए एवं ण विभासइ, किमेस भणइत्ति?, सो पुण सेहस्स वा तं दाएज्जा, जहा एस पावकारिणो विपाकोत्त, अहवा एतेण ४ वैकालिक पहेण पणियट्ठो णिज्जइ, जणाउले एस पहो ण एतेण गंतव्वं एवमादि, जत्थ आवगाणं तित्थाणि पुच्छिज्जति तत्थ भाणितव्वंचूण्यों जहा बहुसमाणित्ति, काणि समाणि तित्थाणि काणि विसमाणिचि भाणियव्याणि तहा स दूरओ परिवज़्जति, मा एयासु णदिसु ॥२५ ॥ ॐणिउज्जेज्जा, तओ परितावणादि दोसा हवेज्जत्तिकाऊण न एवं भासिज्जा पण्णवंति, कारणे पुण एवं भासेज्जा, 'तहा नईओ पुण्णाओ' सिलोगो,(३१५)तहासदो पुब्वभणिओ, नदीओ पसिद्धाओ, पूरागयाओ पुनाओ, कारण तरिज्जतित्ति कायनिज्जाओ, अण्णे पुण एवं पढंति, जहा-कायपेजंति नो वदे, काआ तडत्था पिवंतीति कायपेज्जातो, नावाहिं तारिमत्ति नावातारिमा, तडत्थिएहिं पाणीदि पिज्जतीति पाणिपिज्जाओ, तत्थ इमे दोसा, तं०- नदीओ पुनाओत्ति सोऊण कारणेहिं पधाइया गिहित्था IMIणियत्वेज्जा तओ कट्ठादीणं वा उदीरणं कुज्जा कारण, एया तारिमाओत्ति सोऊण णियत्तिउकामावि न नियत्तेज्जा, तंजहा 'बहुवाहडा अगाहा ॥३१६ ॥ सिलोगो, 'बहुवाहडा' णाम पाय सोभणियातो भणंति, बहु अगाहाओ वा भणेज्जा, बहुसलिलाओ भणेज्जा, बहुउप्पिलोदगा वा भणेज्जा, 'बहुउप्पिलोदगा' नाम जासिं परनदीहिं उप्पीलियाणि उदगाणि, अहवा बहुउप्पिलोदओ जासिं अइभरियत्तणेण अण्णओ पाणियं वच्चइ, बहु वित्थरिय जासु नदीसु उदगं ताओ बहुवित्थडोदगाओ भमंति, एवं पनवं भासेज्जा, जइ पुण भणइ-न याणामि ताहे उड्डाहं करेंति, पउसेज्ज वा जहा मुसावादी एसोत्ति, * इदाणि चव उत्तिण्णो तहवि भणइ न जाणामित्ति एवमाइ बहवे दोसा भवंतीति, तम्हा बहुवाहडा भणेज्जा, तमवि तुरियमवक्कमंतो भणेज्जा, जहाण विभावेइ किमवि एस भणवित्ति। किंच- 'तहेव सावज्जं जोग' ॥ ३१७ ॥ सिलोगो, तहसदो ROGet E CRECE% ॥२५८॥ - ACHAR
SR No.600287
Book TitleDashvaikalik Churni
Original Sutra AuthorJindasgani Mahattar
Author
PublisherRushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha
Publication Year1933
Total Pages384
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_dashvaikalik
File Size9 MB
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