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________________ भाषा SCA-04-AECCAR श्रीदश-18 थिएसु जह ताव कारणं णत्थि ततो अव्यावारो चेव साहणं, ( अह पओयणं ) किंचि भवइ, तं पंथं वा ण जाणइ उवदिसइ3 वैकालिक जाहे वा तेसिं पाणाणं इत्थीपुरिसविसेसे अजाणमाणो वा णो एवं वदेज्जा, जहा-एसा इत्थी अयं पुरिसोत्ति, पायसो य लोगो अवि धिकारः चूर्णी. | सेसियं आलबेइ, अभिहाणेण भाणियव्वं जहा गोजातियाइ चरंति कागजातिया वा हरंति, एवं महिसपसुआदिवि भाणियव्वा । आह-जति एवं तो कम्हा एगिदियविगलिंदिएसु सइ णपुंसगभावे इत्थिणिदेसो पुरिसनिद्देसो य दीसइ, तत्थ एगिदिएसु ४ ॥२५२॥ है पुढविकाए पासाणे पुरिसणिद्देसो, जा सा महिया इत्थिाणद्देसो, आउकाएवि करओ पुरिसनिद्देसो उस्सा इत्थीनि देसो, अग्गिकाएदि अग्गी पुरिसणिदेसो, जाला इत्थिणिद्देसो, वाउकाएवि वाओ पुरिसनिद्देसो वाउलाए इस्थिणिद्देसो, वणस्सइ-1 काएवि पुरिसणिद्दसो जहा णग्गोहो उनिरो, इथिनिद्देसोऽवि जहा सिसवा आंबिलिया पाडला एवमायि, बेइंदिएसु पुरिसणिद्देसो जहा संखो संखाणओ, इस्थिणिदेसो जहा असुगा सिप्पा एवमादि,तेइंदिएसु पुरिसणिद्देसो जहा मकोडा, इथिणिद्देसो जहा उवचिका || पिपीलिका एवमादि, चउदिएसु पुरिसणिद्देसो जहा भमरो पतंगो इत्थिणिद्देसो जहा मधुकरी मच्छिया एवमादि,आयरिओ आहलसइविह नपुंसगभावे जणवयसच्चेण ववहारसच्चेण य एस दोसपरिहारओ भवइत्ति, पंचिदिएसु पुण सतिवि एवमादि जणवयसच्चा दीहिं तहावि जाईओ चव वत्तव्वा, कहं ?, गोवालादीणमचित्तिया भवेज्जा, जहा एते ण सुदिधम्मा जम्हा इस्थिपुरिसविसेसमजाणाणा एगयरनिहसं कुब्बति एवमादि दोसा भवंतित्तिकाऊण पंचिदियाण एगतरनिइसे एस पडिसेहो सव्वपयत्तेण कीरइत्ति, किंच'तहेव ॥२५२॥ माणुसं पक्खि पसुं० ॥२९९॥ सिलोगो, जहेव हिट्ठा भणिताणि अवयणिज्जाणि वयणिज्जाणि य तहा इमाणि न भाणियवाणि, तत्थ मनुस्सा पक्खिणो पसिद्धा, पसुगहणेण य महिसअयएलगादीणं गहणं कतं, सिरीसषगहणेण अयगरादीणं, एते । SAKALUCEDALS R %EOCOCCAST OREOG
SR No.600287
Book TitleDashvaikalik Churni
Original Sutra AuthorJindasgani Mahattar
Author
PublisherRushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha
Publication Year1933
Total Pages384
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_dashvaikalik
File Size9 MB
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