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________________ अपकायादियतना ब्रह्मव्रतरक्षा ५ अ०॥ श्रीदश- भाणियब्वा, जहा वण्णा एवं गंधरसफासावि परोप्परविरुद्धा परिहरणिज्जा, जत्थ य अण्णो मग्गो नत्थि तत्थ पादपंछणेण कालिकलापमज्जिता गच्छड जड सागारियं तो ताव अच्छइ जाव तं गतं ताहे पमज्जइ, अह थिरं सागारियं ताहे पमज्जित्ता पादपंछणेण चूर्णी कायं अफुसंतो ताव अच्छइ जाव अप्पसागारियं जायंति, एसा पुढविक्कायजयणा भणिया। इयाणि गोयरग्गगयस्स जयणा हिकारे वट्टमाणे इमावि जतणा एव भण्णइ॥१७॥ णचरेज्ज वासे वासंते, महियाए व पडंतिए । महावाए व वायंते, तिरिच्छसंपाइमेस वा (६७-१६४) नकारो पडिसेहे वट्टइ, चरेज्ज नाम भिक्खस्स अहा गच्छेज्जत्ति, वासं पसिद्धमेव, तमिवासे वरिसमाणे ण उ चरियव्वं, उत्तिण्णेण य पढ़े | अहाछम्माणि सगडगिहाईणि पविसित्ता ताव अच्छइ जावडिओ ताहे हिंडइ, महिया पायसो सिसिरे गम्भमासे भवइ, ताएवि | पडतीए नो चरेज्जा, महावातो रयं समुद्भुणइ, तत्थ संचित्तरयस्स विराहणा, अचित्तोवि अच्छीणि भरेज्जा एवमाई दोसत्तिकाऊण ण चरेज्जा, तिरिच्छे संपर्यतीति तिरिच्छसंपाइमा, ते य पयंगादी, तस्स तेसु नो चरज्जा, गोयरग्गगतस्स पढमब्बयजयणाहिकारे | बद्रमाणे इमा चउत्थब्बयजतणा-'ण चरेज्ज वससामत, बंभचरवसाणुए । भयारिस्स दन्तस्स, होज्जा तत्थ विसोत्तिया (६८-१६५)णकारो पडिसेधे वसइ, चरेज्ज णाम गच्छज्जा, वेसाओ दुवक्वरियाओ, अण्णाओवि जाओ दुवक्खरियाकम्मेसु बदति ताओवि बेसाओ चेव, सामन्तं नाम तासिं गिहसमीवं, तमवि वज्जणीयं, किमंग पुण तासिं गिहाणि ?, जम्हा तमि वेससामंते हिंडमाणस्स बंभचेरव्वयं वसमाणिज्जतिात्त तम्हा तं वेससामंत बंभचेरवसाणुगं भण्णइ, तमि बंभचेरवसाणुए नो चरेज्जा, वेसाओ इंदियणोइंदिएहिं दंतस्सवि बंभचारिस्स विसोत्तिया भवति, सा विसोत्तिया चउविहा- णामविसोत्तिया ठवणा ॥१७॥ AAAAAA
SR No.600287
Book TitleDashvaikalik Churni
Original Sutra AuthorJindasgani Mahattar
Author
PublisherRushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha
Publication Year1933
Total Pages384
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_dashvaikalik
File Size9 MB
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