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प्राणाति
पात
विरमणम्
श्रीदश- 18 दुविहं दुविहेण णव लद्धा, ते दससु पक्खित्ता, जाया एगूणर्वास, तिविह एगविहेण णव लद्धा, एते एगूणवसिाए पक्खित्ता, वैकालिक दि जाया अट्ठवीस, एक्कविधं तिविहेण तिण्णि लद्धा, ते अट्ठावीसाए पक्खित्ता, जाया एकतीसा, एकविहं चूर्णी Hदुविहेण णव लद्धा, ते एकतीसाए पक्खित्ता जाया चत्तालासं, एक्कविहं एक्कविहेण लद्धा णव, तेवि चत्ताली-
|३३३/२२२१११॥
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३२१३२१३२१|| Bा साए पक्खित्ता, जाया एगूणपण्णं, एते पडुप्पण्णे काले पच्चक्खायतण लद्धा, अतीतेवि एत्तिया चेव, 1 ॥१४६॥ लिअणागएवि एत्तिया चव, एयाओ तिणि एगूणपण्णाओ सत्तचत्तालं भगंसयं भवइ, एत्थ य जो
साहुणं भंगो जुज्जइ तेण अधिगारो, सेसा उच्चारियसरिसत्तिकाऊणं परूविया, जम्हा य भगवतो साधवो तिविहं तिविहेण पच्चक्खायंति तम्हा तेसिं महव्वयाणि भवंति, सावयाणं पुण तिविहं दुविहं पच्चखायमाणाणं देसविरईए खुडलगाणि वयाणि भवंति, पाणाइवाओ नाम इंदिया आंउप्पाणादिणो छव्विहो पाणा य जेसिं अत्थि ते पाणिणो भण्णति,
तेसिं पाणाणमइवाओ, तेहिं पाणेहि सह विसंजोगकरणन्ति वुत्तं भवइ, तओ पाणाइवायाओ वेरमणं, पाणाइवायवेरमणं नाम दनाउं सद्दहिऊण पाणातिवायस्त अकरणं भण्णइ, सव्वं नाम तमेरिसं पाणाइवायं सव्वं-निरवसेसं पच्चक्खामि नो अद्धं ति
भागं वा पच्चक्खामि, संपइकालं संवरियप्पणो अणागदे अकरणणिमित्तं पच्चक्खाणं, सीसो आह-सो पुण पाणाइवाओं केसु मा भवइ जओ सो साहू पच्चक्खाणं करेइ ?, आयरिओ भणइ-से सुहम वा बायरं वा तसं वा थावरं वा' 'स'त्ति निद्देसे
वट्टइ, किं निद्दिसति ?, जो सो पाणातिवाओ तं निसेइ, से य पाणाइवाए सुहुमसरीरेसु वा बादरसरीरेसु वा होज्जा, मुहुम नाम जं सरीरावगाहणाए सुट्ठ अप्पमिति, बादरं नाम धूलं भण्णइ, तत्थ जे ते सुहमा बादरा य ते दुविहा तं०-तसा य थावरा वा,
15RECORRECRUICA
॥१४६॥