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________________ श्रीदश नेता कयवरं सोहिता कज्जइ तो सुंदरो य थिरो य भवइ, असोहिए पुण अथिरो भवइ, एवं कयवरथाणीए मिच्छत्तै असोहिए उववैकालिक दहाविज्जइ तो महव्वयाणि न थिराणि भवंति, जहा आउरस्स ओसहं वियरिज्जइ तं जइ वमणविरेयणाणि काऊण दिज्जड़ तो लग्मइ, चूणी एवं जइ सद्दहितादिसु उवट्ठाविज्जति ता धरेइ महव्वए, असद्दहितासु अथिराणि भवति, जम्हा एते दोसा तम्हा पढियाए कहि४ अ० याए सद्दहियाए परिक्खिते परिहरिए, अभिगते णाम जति अपव्वावणिज्जाणं णण्णतरो ण भवति ताहे विसुद्धो उक्ट्ठाविज्जति, ॥१४४॥ & तस्स य महन्वयाणि अभणियाणि न णज्जति तओ ताणि भण्णति, तंजहा-'पढमे भंते ! महव्वए'त्ति (३-१४४ ) पढमंति P नाम सेसाणि मुसावादादीणि पडुच्च एतं पढम भण्णइ, भंते ! ति आमंतणं सांसो वएसु उच्चारिजंतेसु गुरुणो करेइ, महन्वयं ६ नाम महंतं वतं, महन्वयं कथं १, सावगवयाणि खुड्डग़ाणि, ताणि पडुच्च साहूण वयाणि महंताणि भवंति, एत्थ निदरिसणे 'सीयालं भंगसयं' गाहा, न करेइ न कारवेह करतं नाणुजाणइ मणसा वयसा कायसा १, न करेइ न कारवेइ करत नाणुजाणइ मणसा वयसा २ अहवा न करेइ न कारवेइ करतं नाणुजाणइ वयसा कायसा ३ न करेह न कारवेइ करतं नाणुजाणइ मणसा कायसा ४ एते तिण्णिवि मंगा पायसो सुण्णा, तिविहं एगविहेण न करेइ न कारवेइ करत नाणुजाणइ मणसा ५ अथवा न करेइ न कारवेइ करतं नाणुजाणइ वयसा ६ अहवा न करेइ ण कारवेइ करत नाणुजाणइ कायसा ७ एते तिण्णिवि भंगा पायसो सुण्णा, माएते सत्तभंगा तिविह अणमयतण लद्धा, इयाणि दविहं तिविहेण-न करेहन कारवे मणसा वयसा कायसा अहवा न करेइ करता। नाणुजाणइ मणसा वयसा कायसा अहवा न कारवेइ करतं नाणुजाणइ मणसा वयसा कायसा, एते तिष्णि भंगा दुविहं तिविहण लद्धा, इदाणिं दुविहं दुविहेण-ण करेइ ण कारवेइ मणसा वयसा १ अहवा न करेइ ण कारवेइ वयसा कायसा २ न करेइन कारवेइ %EOSSASSASAR ॥१४४॥
SR No.600287
Book TitleDashvaikalik Churni
Original Sutra AuthorJindasgani Mahattar
Author
PublisherRushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha
Publication Year1933
Total Pages384
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_dashvaikalik
File Size9 MB
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