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________________ ALSCRECNO धर्मकथा Hd कोइ सोतारो सुहुमाए दव्वचिंताए वा सोउमरिहे ताहे तस्स सोयारस्स मती वादेहिं अक्खिप्पइ, जेण वा दिहिवाएण हेउणां वैकालिकाअक्खिप्पइ सा य दिट्टिवायक्खेवणी, एसा अक्खेवणी कहा, तारिसेण अण्णेण वियप्पेणं इमाए गाहाए भण्णति 'विज्जा चरणं चूर्णौ च तवो' गाहा, (१९७--११०) तत्थ नाणस्स सामत्थं कहयइ, जहा अंधगारे वहमाणा भावा पदीवेण सचक्खू पासइ, एवं ३ अध्ययने नाणं पुरिसस्स दीवभूतंति, भणियं च--'पेच्छइ जहा सचक्खू पुरिसो दीवेण अंधयारेवि । जिणसासणदीवेण उ पासति (नाणी सयल भावे) ॥१॥" एवं णाणसमत्थदीवएण सोयारस्स मती अक्खिप्पड़, एसा विज्जाअक्खेवणी गया । इदार्णि ॥१०७॥ चरणअक्खेवणी २ णाम एवं साहुणो सरीरेवि अपडिबद्धा भवंति, (साहुणो छट्टमदसमदुवालसाई तवो जीए वणिज्जइ) पुरिसगारो णाम आणिगूहियबलवीरिएहिं संजमजोगो कायव्वो, समितीओ पंच गुत्तीओ तिण्णि, एमाओ विज्जाचरणाणि पुरिसकारसमितीगुत्तीपज्जवसाणाणि पंचवि कारणाणि जाए कहाए उवदिस्संति सो कहाए अक्खेवणीए रसोत्ति, रसो नाम लक्खणं भण्यते, एवं अक्खेवणी कहा गता ॥ इदाणिं विक्वेवणी, सा चउव्विहा, तं०- ससमयं कहेता परसमयं कहेइ परसमयं कहेत्ता ससमयं कहेइ (पढमा विक्खेविणी, सम्मावादं कहेत्ता) गुणे य से उवदंसेइ (मिच्छावायं कहेत्ता दोसे य तस्स उवदंसेइ) टू एसा बितिया विक्खेवणी गया, इदाणि तइया विक्खेवणी भण्णति, परसमयं कहेत्ता तेसु चेव परसमएसु जे भाषा जिणप्पणी तेहिं भावेहिं सह विरुद्धा असंता चेव वियप्पा ते पुचि कहेत्ता दोसाइ तेसि भणिऊण पुणो जिणप्पणीयभावसरिसा घुणक्खरमिव केवि सोहणा भणिया ते कहेइ, अह्वा मिच्छावादो नत्थित्तं भण्णइ,सम्मावादो अत्थित्तं भण्णति,तत्थ पुचि नाहियवाईणं दिहीओ कहित्ता पच्छा अत्थित्तपत्रवाईणं दिट्ठीओ कहेइ, एसा तइया विक्खेवणी गया, इयाणि चउत्थी विक्खेवणी, सावि ROSCOCCOLOROSCOCALC345 -AE - RR ॥१०७॥ । OR..
SR No.600287
Book TitleDashvaikalik Churni
Original Sutra AuthorJindasgani Mahattar
Author
PublisherRushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha
Publication Year1933
Total Pages384
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_dashvaikalik
File Size9 MB
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