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________________ श्रीमलधात विशेषा यतिदिष्टा 15ASRok वश्यक गाथा: ॥२९॥ SCARRC पुणरवि मेढियनगरे, तवं विचित्तं तु छट्ठवासंमि । मगहाए निरुवस्सग्गं, मुणि उडुब«मि विहरित्था ॥ १९३३ ॥ ४८७ ॥ आलभियाए वासं, कंडाए देउले पराहुत्तो । मद्दणदेउलसमुहिं गोसालो दोसुवि मुणित्ति ॥ १९३४ ॥ ४८८॥ . बहुसाल(ग सालवणे कडपूयण पडिमविग्धणोवसमे । लोहग्गलंमि चारिय जियसत्तू उप्पल्ले मोक्खा) ॥ १९३५ ॥ ४८९ ॥ तत्तो य पुरिमताले वग्गुर ईसाण अच्चए पाडमा । मल्लिजिणायतण वहिं, (पडिमा) उण्णाए वंसि बहुगोट्ठी ॥ १९३६ ॥ ४९० ॥ गोभूमि वज्जलोढत्ति गोव कोवे य वास जिणुवसमे । रायगिहट्ठमवासा वज्जभूमी बहूवसग्गा)॥ १९३७ ॥ ४९१ ॥ | अनि. ४९२ ॥ मगहा गोब्बरगामे, गोसंखी वेसियाण पाणामा । कुम्मग्गामातावण, गोसाल कोवण (पउद्दे) ॥ १९३८ ॥ ४९३ ॥ वेसालीए पडिमं डिंभ मुणिउत्ति तत्थ गणराया । पूएइ संखनामो चित्तो नावाइ भगिणिसुओ ॥ १९३९ ॥ ४९४ ॥ ॥ १९४०॥ | वाणियगामायावण आणंदो ओहि पारसहसहित्ति । सावत्थीए वासं चित्त तओ साणुलढि बहिं ॥ १९४१॥ ४९५ ॥ पडिमा भद्द महाभद्द सव्वओभद्द पढमिया चउरो । अट्ठय वीसाऽऽणदे, बहुलिय तह उज्झि दिय दिव्या ॥ १९४२ ॥ ४९६ ॥ दढभूमी बहुमेच्छा, पेढालग्गाममागओ भगवं । पोलासचइयाम द्विएगराई महापडिमं ॥ १९४३ ॥ ४९७ ॥ सको य देवराया सभागओ भणइ हरिसिओ वयणं । तिन्निवि लोगसमत्था जिणवीरमणं न चालेउं ॥ १९४४ ॥ ४९८ ॥ सोहम्मकप्पवासी, देवो सक्कस्स सो अमरिसेणं । सामाणियसंगमओ, बेति सुरिंदं पडिनिविट्ठो ॥ १९४५ ॥ ४९९ ॥ तेलोक असमत्थंति पेह एयस्स चालणं काउं । अज्जेव पासह इमं मम वसगं रुद्धजोगतवं ॥ १९४६ ॥ ५००॥ %A4%9516 3 ॥२९॥ %
SR No.600286
Book TitleNandisutrasya Churni
Original Sutra AuthorRushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha
Author
PublisherRushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha
Publication Year1928
Total Pages238
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_nandisutra
File Size19 MB
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