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विशेषावश्यक गाथा:
श्रीमलधा- अह आगतो तुरंतो, देवो सक्कस्स सो अमरिसेणं । कासी अय (ह) उवसग्गं, मिच्छादिट्ठी पडिनिविट्ठो ॥ १९४७ ॥ ५०१ ।। यतिदिष्टात
धूली पिपीलियाउ, उद्दसा खलु तहेव उण्हेला । विच्छुग नउला सप्पा य मृसगा चेव अट्ठमगा ।। १९४८ ॥ ५०२ ॥
हत्था हत्थिणियाओ, पिसायए घोररूव बग्घे य । थेरो थेरी सूओ, आगच्छइ पकणो य तहा ।। १९४९ ॥ ५०३ ॥ ॥३०॥
| खरवाय कलंकलिया, कालचकं तहेव य । पाभाइयउवसग्गे, वीसइमो होइ अणुलोमो ॥ १८५०॥ ५०४॥ सामाणियदेविyि, देवे दाएइ सो विमाणगओ । भणति य वरह महरिसि, निष्फत्तिं सग्गमोक्खाणं ॥ १९५१ ॥ ५०५ ॥ उवहयमतिविण्णाओ ताहे वीर बहुं सहावेउं । ओहीय जिणं झाय(जाण)इ, झायति छज्जीवहियमेव ।। १९५२ ॥५०६ ॥ वालुगपंथे तेणा, माउलपारणए तत्थ काणच्छी । तत्तो सुभोम अंजलि. सुच्छित्ताए य विडरूवं ॥ १९५३ ।। ५०७ ॥ मलये पिसायरूवं, सिवरूवं हत्थिसीसए चेव । ओहसणं पडिमाए. मसाण सक्को जवणपुच्छा ॥ १९५४ ।। ५०८ ॥ तोसलि कुसिस्सरूपेण संधिच्छओ इमोत्ति बज्झो य । मोएइ इंदयालिउ तत्थ महाभूइओ नाम ॥ १९५५ ।। ५०९ ॥ मोसलिसंधिसु मागह मोएति य रट्टिओ पितिवयंसो । तोसलिय सत्तरज्जुय, वायत्ती मोसली मोक्खो । १९५६ ॥ ५१० ।। सिद्धत्थपुरे तेणोत्ति कोसिओ आंसवाणिओ मोक्खे । वयगामहिंडऽणसण बीयदिणे बेति उवसंतो ॥ १९५७ ।। ५११॥ वच्चह हिंडह न करेमि किंचि इच्छा ण किंचि वत्तव्यो । तत्थेव वच्छवालियथेरी परमण्ण वसुहारा ॥ १९५८ ॥ ५१२ ।। छम्मास अणुबद्धं, देवो कासीअ सो उ उवसग्ग । दण वयग्गामे, बंदिय वीरं पडिनियत्तो ।। १९५९ ।। ५१३ ॥ | देवो ठिओ महिड्डीउ मंदरचूलियाए सिहरमि । परिवारिओ सुरवहहिं तस्स य सागरोवमं सेसं ॥ १९६० ।। ५१४ ।।
OSARIOPHORRORISEERIS*****
॥३०॥