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________________ नन्दी Sit e कप्पतरुसमूहाओ होंति किलेसं विणा तेसि ॥ ३ ॥ ते पुण दसप्पगारा कप्पतरु समणसमयकेतूहिं । धीरेहि विणिद्दिट्ठा मणोरहापूहारिभद्रीय जारगा एए॥४॥ मत्तंगया१य भिंगा २ तुडियंगा ३ दीव ४ जोति ५ चित्तंगा ६। चित्तरसा ७ मणियंगा ८ गेहागारा ९ कालचक्रवृत्ता अणियणा १० य ॥५॥ मत्तंगएसु मज्ज सुहपेज्जं भायणाणि भिंगसु । तुडियंगेसु य संगयतुडियाणि बहुप्पगाराणि ॥ ६॥ .स्वरूप दीवसिहा जोतिसणामया य णिच्च करिति उज्जोयं । चित्तंगेसु य मल्लं चित्तरसा भोयणट्ठाए ॥७॥ मणियंगसु य भूसणवराणि भवणाणि भवणरुक्खेसु । आयनेसु य इच्छियवत्थाणि बहुप्पगाराणि ॥ ८॥ एएसु य अनेसु य नरनारिगणाण ताणमुवभोगो। भवियपुणब्भवरहिया इय सव्वन्नू जिणा बिंति ॥९॥ तो तिन्नि सागरोवमकोडाकोडी उ वीयरागेहिं । सुसमत्ति समक्खाया पवाहरूवेण धीरेहिं ॥ १० ॥ तीए पुरिसाणमायु दोण्णि य पलियाई तह पमाणं च । दो चेव गाउयाई आईए भणंति समयन्नू ॥११॥ उपभोगपरीभोगा तेसिपि य कप्पपादवेहितो । होति किलसेण विणा नवरं ऊणाऽणुभावहिं ॥ १२ ॥ तो सुसमदूसमाए है पवाहरूवेण कोडिकोडीओ । अयराण दोण्णि सिट्ठा जिणेहिं जियरागदोसेहिं ॥ १३ ॥ तीए पुरिसाणमाउं एगं पलियं तहा पमाणं च । एगं च गाउयं तीइ आदीए भणंति समयण्णू ॥ १४ ॥ उवभोगपरीभोगा तेसिपि य कप्पपादवेहितो । हति किलेसेण विणा पायं ऊणाऽणुभावेहि ॥ १५ ॥ सूसमदुसमावसेसे पढमजिणो धम्मणायगो भयवं । उप्पन्नो कयपुग्नो सिप्पकलासगो उसहोद |॥ १६ ॥ तो दुसमसुस्समूणा बायालीसाए वरिससहसेहिं । सागरकोडाकोडी एगेव जिणेहि पण्णत्ता ॥ १७॥ तीए पुरिसाणमायु पुव्वपमाणेण तह पमाणं च । धणुसंखानिद्दिष्टुं विसेससुत्ताओ णायव्वं ॥ १८ ॥ उवभोगा परीभोगा पवरोसहिमाइएहिं विण्णेया। | जिणचक्किवासुदेवा सब्वे य इमीए वोलीणा ॥ १९ ॥ इगवीससहस्साई वासाणं दूसमा इमीए य । जेविय माणुवभोगादीया व CROCHESH96756 ॐरॐनमक ऊ5 ॥
SR No.600286
Book TitleNandisutrasya Churni
Original Sutra AuthorRushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha
Author
PublisherRushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha
Publication Year1928
Total Pages238
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_nandisutra
File Size19 MB
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