SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 143
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ स्पर्शप्रति| वेदनादि श्रीआचा रांग सूत्र चूर्णिः ॥१४॥ GARIA संथर्वति, जं भणितं-संजुजंति, ते एवं मिच्छादिडी जहा जहा भाविणी तहातहा गतिसु उववअंति, 'अहोववाइए फासे पडिसंवेदयंति' अहवा पुढो पुढो जाई पन्गप्पेंति, जं वुत्तं जारिसं जाई पगप्पेति तारिसं तारिसं जाई पप्प इहमेगेसि संथवो भवति, इह संसारे संथुति संथवो, अप्पसत्थो नेरइओ नेरइयत्तेण, संथुवति णाम निद्दिसिजति एवमादि, पसत्थं तु देवो देवतेण, अहवा समागमो संथवो, पुणरवि ते संसारे संसरंति, अण्णमण्णस्स माइत्ताए पतित्ताए संथुविहिंति, ते एवं संसारिणो जत्थ जत्थ उववजंति तत्थ तत्थ 'अधोववाइए' अध इति अणंतरे, अह ते सकम्मनिद्दिढ़ अण्णतरं गतिं गया, उववाते जाता उववाइया फुसंति, जं भणित-वेदेति, अहवा फरिसो नियमेण सव्वेसिं अत्थि, रसातिविसया केसिचि अत्थि केसिंचि नत्थि, तत्थ नेरइएहिं फासा सीता उसिणा य, असिपत्तकरकयकुंभीपागादि, एवं तिरियमाणुएहिंवि जहा सकम्माविहिते इट्ठाणिद्वे, अहवा बहूणि हत्थछेयणाणि जाव तालणाईणि पाविहिंति, सीसो पुच्छति-ते भगवं ! ता वंकनिकेयणिचयणिविट्ठा पुढो पुढो जाययो पगप्पेंता तत्थ तत्थ संथवे करेमाणा अधोववातिए फासे वेदेमाणा सव्वे समवेयणा भवंति ?, णो तिणद्वे समढे, कहं ?, 'चिट्ठ कूरेहिं कम्मेहि चिटुंति वा गाढंति वा एगट्ठा, जेत्तिया अज्झवसाया चिट्ठ हिंसातिकूरकम्मेसु पवजंति, विविहं परिचिट्ठति, णरगेसु जहन्नेगं दसवाससहस्साई तेण परं समयाहिया जाव तेत्तीसं सागरोवमाई चिटुंति, 'चिटुं चिट्ठतर ति एत्थ इमाओ दो कारगगाहाओ 'अस्सण्णी खलु पढम०' जहा ठिती तहा वेयणा, विणा चिट्ठ कूरेहिं जहा जहा तस्स हिंसादीणि ण अतिकूराई कम्माई भवन्ति, तंजहा-असण्णी खलु पढमं, एवं सन्निणोवि जहा जहा मंदज्झवसाणा भवंति तहा तहा नेरइयाउहेऊसु वट्टमाणाविण चिटुंति, न दिग्धकालट्ठिईएसु नरएसु उववअंति, ण वा अतिचिट्ठ वेदणावेदणं, एवं तिरियमणुय०, एवं सुभकम्मेसुवि चिट्ठ अकरहिं चिट्ठ परिचिट्ठति, 'एगे ISIS
SR No.600285
Book TitleAcharang Churni
Original Sutra AuthorJindasgani Mahattar
Author
PublisherRushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha
Publication Year1941
Total Pages384
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_acharang
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy