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________________ A भागमो. KI बारककृतिसन्दोहे केणावि संभवइ ॥४५॥ पव्वुत्तरदियहमि सड्ढो पारेउमीहए। पमुहे तेसिं पडिणियदिवसपडिसेहो। पइदिणकत्तव्वा ते ईर्याद्वापोसं । आएसे कि साहू भणेइ पारेसु तं नियमा ॥४६॥ कहिया न पडिणिययदिवसत्ति ॥ ५४॥ पइदिणकत्त বস্নাহিঙ্কা उस्सग्गाइविहीए नेवाएसो गुरूण पारणए । इत्थं तुह सावजे व्वस्स उ अत्थो तत्थेव दंसिओ सक्खं । उच्चारिजंति नियमाणुमईयकरणं च ॥४७॥ न य कत्था गीपहिं संवि- पुणो पुणो न तहा परे दिवसे ॥५५॥ पइदिणपडिग्गेहिं निवारिओऽपव्वे। पोसहविही विसेसा विहिओऽन्न- नियदिणा विरुद्धअत्था मया दुवे सदा । पइणियतमासु वि तिहीसु ॥४८॥ अटुमिपमहतिहीओ पढम लवि- यत्थो पव्वं जइ पदिणसद्द पब्बियरे ॥५६॥ अदुमपोसऊण गुणो वि उद्दिष्टा । कल्लाणत्था गहिया पुणो वि उवहा- हगहणे पव्वं सामनओ विनिद्दिढ़। पब्वाणं नहि तितयं णसंजुत्ता ॥४९|| न य कत्थई तुह इट्ठा एया तिहओ गीएहिं न य पब्बेमुत्ति कवि य ॥५७॥ भत्तपरिचाओऽविर परिगणिया। न य परिगणणाभावे हवइ णियमा णया सत्थे पोसहतया समक्खाओ । सो ते मआ अपव्वे बंभाइहिं धारो ॥५०॥ न य कत्थइ छेएसुं अपव्वपोसह विहाण- किमवरद्ध ? ||८|| पचक्खाणं पढमे दिवसे जइ छट्ठमाइ पच्छित्तं । निद्दिट्ट सइ एवं निसेहणं मिच्छरूवं तु ॥५१॥ ते न मयं । पासहसालपवेसे अट्ठमभत्तग्गही कह णु ? ॥५९।। जइवि य पडिणिययत्या दिणबद्धो दंसिओ जो नियओ। कोडीसहिए अट्ठमकोडीमिलणं सुए समक्खायं । एवं तंपि दिवसो तत्थत्ति न पुणो पव्व अत्थो भवे तस्स ॥५२॥ न मिलइ गहपरिणामाण भिन्नत्तं ॥६०॥ निच्च तु छट्टकामी जइ पुण सोणुमओ ते कयन्गहातो नपव्वदियहेसु । सामाइयदे- अट्ठमगहणं करेइ इइ दटुं। को विन्भमो तवस्ती वड्ढइ तं न उ सवया हवंति कइयावि कायव्या ॥५३॥ ज आवस्सय- तइयदिवसे ॥६१।। पञ्चक्रवाणं णागयकालीणं सव्वसत्थप- INI --- -- ---
SR No.600283
Book TitleAgamoddharak Kruti Sandohe Part 01
Original Sutra AuthorManikyasagarsuri
Author
PublisherShantichandra C Zaveri
Publication Year1960
Total Pages302
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size21 MB
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