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________________ आगमो द्वारक कृति सन्दोहे ॥२२५॥ करणकालोति किं न मयं ||२८|| किं चेमे सत्थयारा । एत्थं दाणनियमो भवे दिवसबद्धो । पडिनियय दिवसकज्जं तेणुइयं सत्थगारेहिं ||३७|| एवं न पव्वसद्दस्स न पडिनियओ दिणो हवे वत्ता। दिणसंबद्धो किंतु पडिनिययदिवस सहो अत्थो || ३८ || सामइए देसावगासिए य एवं निसेहु पत्तट्ठो । पडिनिययदिणस्स जओ मुहुत्तपहराइमाणा ते ॥ ३९ ॥ इत्तां च्चिय सामइए पोसह जुत्ते न जावनियमत्ति । पाढो कड्ढइ किंतु जावपोसंति सव्वेसिं ॥४०॥ पोहच क्खाणे अहो य रत्ती य उभयमाणजुओ। पाढो न. प. गदितसपो सहवयमुच्चए गच्छे ||४१|| पडिमडियसड्ढाणं न पोसहो पव्वियरदियहेसु । इत्तो चे पडिसेहोऽनेसि तो किं न बंभेवि ॥४२॥ आवस्सयपमुहे भणिओ सव्वाति दिवस राहमिओ । जं पोसहोत्ति सो माणमेइ न दिणदुगाइमयं ॥ ४३ ॥ जं नंदयारमाई अट्टमभत्तेण पोसहं सत्थे । अकरिंसु तत्थ अट्टमभत्तेण विसेसिओ पोसो ॥ ४४ ॥ अटुमिचउदसाईभणणं तप्पव्व नियमकहणाय । न य अट्ठमीचउदसिमिलिया । मुक्खा दिट्ठीइ तस्स जं वक्खा । पव्वत्ति लहुयसदे आहू पणियय दिवसन्ति ||२९|| किंचन्नं सव्वत्य वि वक्खाणमि णं फुडं कयं दिट्ठे । पइणियय दिवसपइदिवसाण किं तत्थ सूरिकयं ॥ ३० ॥ एगदिवसंमि बहुसो जं किज्जइ पइदिणकिया ताओ। एगदिमि उ एक्कलि पइणिययदिवसकिई सा उ ||३१|| संतेवि फुड एवं वक्खाणे पव्व अत्थकरणत्थं खरयरखराण दिट्ठी बहइ वावरेसिं तु ॥ ३२ ॥ किंचनं पव्वे समत्थपोसहकरणमुदयकरं । अतिहीण संविभागो पयरे किं सुहासुहओ ? ।। ३३ ।। चुण्णीए वित्तीय नियमा नियमा निसिया सक्खं । पारणए दाऊणं भोयणमुवदंसियं नियम ||३४|| अने पुण दिसु दाउ पारेइ पारिउं देइ । एवं सव्वदि खा अतिहीण दाणवयं ||३५|| एव न पव्वनियमो न य पव्वुत्तरदिणस्स नियमो य । अतिहीण संविभागे किमनहा दाणम दियहं | | ३६ || तत्तत्थो पुण ईर्याद्वा पश्चाशिका ॥२२५॥
SR No.600283
Book TitleAgamoddharak Kruti Sandohe Part 01
Original Sutra AuthorManikyasagarsuri
Author
PublisherShantichandra C Zaveri
Publication Year1960
Total Pages302
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size21 MB
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