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उपासकदशांग सानुवाद
२ कामदे वाध्ययन
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अस्तिभावने अस्तिरूपे कहे छे अने सर्व नास्तिभावने नास्तिरूपे कहे छे. दानादि सारा को शुभफळवाळां अने दुष्ट कर्मो अशुभ फळवाळां थाय छे. आत्मा शुभाशुभ कर्मनो बंध करें-छे, परन्तु सांख्यमतनी पेठे नथी बंधातो पम नथी. जीवो उत्पन्न थाय छे पटले जन्मे छे. कल्याण अने पाप-शुभा शुभ कर्म फळवाळां छे. ए प्रमाणे धर्मनो उपदेश करे छे. पटले ज्ञेय जाणवा योग्य अने श्रद्धा करवा योग्य तत्त्वने विशे जाणवा अने श्रद्धा करवा रूप धर्म कहे छे. तथा 'इणमेव निग्गन्थे पावयणे सच्चे, आ प्रत्यक्ष निर्ग्रन्थ प्रवचन सत्य छे, कारण के सुवर्णनी पेठे 'कषादि वडे शुद्ध छे. 'अणुत्तरे' जेनाथी बीजं कोई प्रधान नथी पq छ, 'केवलिप' अद्वितीय छे. 'संसुद्धे' शुद्ध-निर्दोष छ, 'पडिपुण्णे' सद्गुणोथी परिपूर्ण छ, 'नेयाउए' न्याययुक्त छे, | 'सल्लगत्तणे' मायादि शल्यनो कर्तन-नाश करनार छे. 'सिद्धिमग्गे' सिद्धिनो-हितप्राप्तिनो मार्ग छे, 'मुत्तिमग्गे मुक्तिना-अहितना त्यागना | मार्गरूप छे. 'निव्वाणमग्गे' निर्वाण-सिद्धक्षेत्रनी प्राप्तिनो मार्ग छे, 'परिनिब्वाणमग्गे' कर्मनो अभाव थवाथी उत्पन्न थयेला सुखनो मार्ग छे, 'सर्वदुक्खपहीणमग्गे' सर्व दुःखना क्षयनो मार्ग छे. हवे आ प्रवचननुं स्वरूप फळ द्वारा बतावे छे-आ प्रवचनने विशे रहेला जीवो कृतार्थपणे सिद्ध थाय छे, केवलिपणा वडे बोध पामे छे, कर्मवडे मुक्त थाय छे, अने निर्वाण पामे छे. 'पगच्या पुण पगे भयंतारो' एकााः -पक-अद्वितीय अर्व्य-पूजवा योग्य अथवा एकारी-संयम अनुष्ठानने विशे एक-असदृश-अनुपम अर्चा-शरीर जेमर्नु छ एवा केटलापक छे जेओ सिद्ध थता नथी, पण तेओ निर्ग्रन्थप्रवचन-जिनशासनना भक्तार:-सेवा करनारा, अथवा भदन्त-कल्याण युक्त, भट्टारक-पूज्य, अथवा भयत्रातार:-भयथी रक्षण करनारा पूर्व कर्म बाकी होवाथी महाऋद्धिवाळा, महातिवाळा, महायश
"विधिप्रतिषेधो कष इति" । अहिंसा, संयम अने तप बगेरेनुं विधान अने हिंसादिनो निषेध ते कष. "तत्संभवपालनाचेष्टोक्तिश्छेद इति" विधि अने प्रतिषेधनी उत्पति अने तेना पालन करवानी चेष्टानुं प्रतिपादन ते छेद. “उभयनिबन्धनभाववादस्ताप इति" विधि अने प्रतिषेधन परिणामी कारण जीवादि भावनी प्ररूपणा करवी ते ताप. एटले स्थावाद बडे जीवादि भावोनुं प्रतिपादन कर. जेम सुवर्णनी कष, छेद अने ताप वडे परीक्षा कराय छे तेम धमनी उक्त स्वरूप कषादि वर्ड परीक्षा कराय छे. जे धर्म कषादि वडे निदोष छे ते शुद्ध धर्म कही शकाय . जुओ धर्मबिन्दु.