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________________ + २ कामदे वाध्ययन ॥१२॥ उपासक- बाळा, महाबलवाळा, महासुखवाळा, दूर रहेला अने लांबा काळनो स्थितिवाळा कोइ पण देवलोकमां देवपणे उत्पन्न धाय छे. ते दशांग- देवो महाऋद्धिवाळा, यावत् लांबा काळनी स्थितिवाळा, हार वडे सुशोभित छातीवाळा, कडा अने शुटित-बाहुरक्षक वडे अक्कड भुजा- सानुवाद वाळा, अंगद-बाजुबंध, कुंडल अने जेणे गंडस्थलनो स्पर्श को छे एवा कर्णपीठ-कानना आभूषणने धारण करनारा, विचित्र हाथ ना आभरणवाळा, विचित्र मालायुक्त मुकुट जेओने छे पवा, कल्याणकारी श्रेष्ठ वस्त्र जेणे पहेरेला छे पवा, कल्याणकारी श्रेष्ठ माळा ॥१२॥ अने विलेपनने धारण करनारा, भासुर-देदीप्यमान बोन्दि-शरीर जेओर्नु छे पवा, लांबी लटकती वनमालाने धारण करनारा, दिव्य COMवर्ण वडे, दिव्य गन्ध वडे, दिव्य स्पर्श वडे, दिव्य संघयण वडे, दिव्य संस्थान वडे, दिव्य ऋद्धि बडे, दिव्य प्रति वडे, दिव्य प्रभा || वडे, दिव्य छाया वडे, दिव्य-अचि-प्रकाशनी ज्वाला वडे, दिव्य तेज बडे अने दिव्य लेश्या बडे दस दिशाओने उयोतित करता, प्रकाशित करता, कल्याणकारकगतिवाळा, कल्याणकारक स्थितिवाळा, 'आगमेसिभद्दा' भविष्य काळे थवानुं छे भद्र-कल्याण जेओर्नु एवा, प्रसन्नता करनारा, दर्शनीय, अभिरूप-मनोहर प्रतिरूप-विशिष्ट रूपवाळा पवा देवो देवपणे उत्पन्न थाय छे. ए प्रमाणे जे अहीं धर्मनुं फळ छे ते कहे छे. ए प्रमाणे चार स्थानके जीवो नैरयिकपणे कर्म करे छे अने नैरयिकपणे कर्म करीने नैरयिकोमां उत्पन्न थाय छे. ते आ प्रमाणे-महारंभ वडे, महापरिग्रह वडे, पंचेन्द्रियनी हिंसा वडे, अने मांसाहार बडे ए प्रमाणे ए पाठ वडे तिर्यंचोमा माया बडे, असत्य वडे, उत्कंचन वडे, अने वंचन वडे. तेमां माया छेतरवानी बुद्धि, उत्कंचन-भोळा माणसोने छेतरवामां प्रवृत्त थयेलाए पासे रहेला चतुर पुरुषोने खबर न पडे तेवी रीते क्षणवार प्रवृत्ति न करवी, वंचन-छेतर. मनुष्योमा प्रकृतिना भद्रपणाथी, विनीतपणाथी, दयाथो, अने अमात्सर्य-अदेखाइ रहितपणाथी उपजे छे. प्रकृतिनी भद्रता-स्वभावथीज बीजाने संताप न करवो. देवोमां सराग संयमथी, देश विरतिथी, अकामनिर्जराथी, अने बालतप वडे उपजे छे.प प्रमाणे नारकत्वादिना कारणोनो उपदेश करे छे. जे प्रकारे नरकमां जवाय छे, जे नरको छे अने नरकमां जे वेदना छे तेने कहे छे)अने तिर्यंचयोनिमां शारीरिक अने मानसिक दुःखोने कहे छे (१) व्याधि, जरा, मरण अने बेदना बडे प्रचुर-व्याप्त तथा अनित्य एवा मनुष्यपणाने कहे छे. देवो, देवलोको, अने देवोने विशे देवोना
SR No.600279
Book TitleUpasakdashanga Sutra
Original Sutra AuthorAbhaydevsuri
Author
PublisherAbhaydevsuri
Publication Year
Total Pages184
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_upasakdasha
File Size15 MB
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