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________________ 11८५ तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स बहवे अच्छरगणसंघाया अंतियं पाउभवित्था । ताओ णं अच्छराओ धंतधोयकणग-रुयग-सरिसप्पभाओ समइक्वंताओ य बालभाष अणइवर-सोमचारुरूबाओ निरुबहय-सरस-जोव्वणकक्कस-तरुण-वयभावं उवगयाओ निच्च अवडिठयसहाबाओ सवंगसंबरीओ इच्छियनेवच्छ-रहय-रमणिज्ज-गहियवेसाओ किं ते हारहार पाउत्त-रयणकुंडल-वामुत्तग - हेमजाल- मणिजाल - कणगजाल-सुत्तग-उरितिय - कडग-खडडु( खुड्ड )ग-एगावलि-कंठसुत्त - मगहगधरच्छगेवेज्ज-सोणिसुत्तग-तिलग - फुल्लग-सिद्धत्थिय - कण्णवालिय-ससि-सूर-उसभ - चक्कय-तलभंगय-तुडिय-हत्थमालय-हरिस-केऊर-वलय -पालंब-अंगुलिज्जग-बलवख-दोणारमालिया चंदसूरमालिया-कंचिमेहल-कलाव-पयरग-परिहेरग-पायजालघंटिया-खिखिणि-रयणोरुजालखुड्डिय-वरने उर-चलणमालिया-कणगणिगल - जालग-मगरमुहविरायमाणनेउर-पचलियसद्दाल-भूसणधरीओ दसवण्ण-रागरइय-रतमणहरे हयलाला - पेलवाइरेगे धवले कणग-खचियंतकम्मे आगास-फालिय - सरिसप्पहे अंसुए गियत्थाओ आयरेणं तुसार- गोक्खीर* हार-दगरप-पंडर-दुगुल्ल- सुकुमाल-सुकयरमणिज्ज उत्तरिज्जाई पाउयाओ, वरचंदणचच्चियाओ वराभरणभूसियाओ सब्वोउय-सुरभि -कुसुम-सुरइय-विचित्त-बरमल्लधारिणीओ सुगंधचण्णंगराग-वरवास-पृष्फपूरगविराइयाओ अहियसस्सिरीयाओ उत्तमवरधूवधूवियाओ | सिरीसमाणवेसाओ दिव-कुसुम-मल्लदामपन्भंजलिपुडाओ चंदाणणाओ चंदविलासिणीओ चंबद्धसमललाडाओ चंदाहियसोमदसणाओ उक्काओ विष उज्जोएमाणाओ विज्जुघण-मिरीइ-सूरदिपंत-तेयअहियतर - सन्निगासाओ सिंगारागार-चारुवेसाओ संगयगय-10 ||८५॥ हसिय-भणिय-चेट्ठिय-विलास-सललिय-संलावनिउणजुत्तोवयारकुसलाओ संदरथण-जघण-वयण - करचरण-नयण - लावण्ण - रूवजोवण-विलासकलियाओ सुरवधूओ सिरीस-नवणीय-मउय-सुकुमाल - तुल्लकासाओ ववगय - कलिकलुसाओ धोयनिद्धत-रयमलाओ सोमाओX कंताओ पियदसणाओ सुरुवाओ जिणभत्तिदसणाणरागेणं हरिसियाओ ओवयाओ यावि जिणसगासं दिव्वेणं सेसं तं चेव नवरं ठियाओ चेव।
SR No.600276
Book TitleAupapatikopanga Sutram
Original Sutra AuthorJinendrasuri
Author
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1993
Total Pages200
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aupapatik
File Size19 MB
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