SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 3
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ॥३॥ फ प्रस्ताविक 卐 जैन आगम ग्रन्थोमां अंग, उपांग, पयन्ना, छेद, मूल अने चूलिका एम विभाग गणान्या छे. तेमां आ औपपातिक सूत्र पहेलुं उपांग सूत्र छे. तेनी रचना भूतकेवली चौदपूर्वधर महापूरुजे करेली ते १६०० गाथा २००० श्लोक प्रमाण छे. तेना उपर पूज्य सूरिभगवंत नवांगी टीकाकार श्री अभयदेवसूरीश्ववरजी महाराजे टीका रचीं छे ३१२५ श्लोक प्रमाण छे. आ सूत्रमां भगवान् महावीरनुं वर्णन, साधु वर्णन, कोणिक राजाए करेल सामैयुं. प्रभुनी देशना छे. चारे गत्तिना जीवो क्यांथी क्या हेतुथी उत्पात एटले उत्पत्ति थाय छे तेनुं वर्णन छे जेनी विस्तृत अनुक्रमणिका जोवाथी ख्याल आवशे । आ सूजना अध्ययनथी सर्व जीवोना उत्पात तथा हेतुओ तथा गति स्थिति विगेरे अनेक विषयोनुं ज्ञान थाय छे. जे घणुं स्पष्ट थाय छे, आ रीते सूत्रोनुं विधिपूर्वकनुं अध्ययन अत्यंत उपकारी बने अने ते मुनिमहात्माओनं मुख्य कार्य छे तेथी तेमना द्वारा अध्ययन आदि थाय तो कुवामांथी बीजे पाणी जाय तेम श्री संघमां पण आराधनानी हरियाली थइ जाय. जिनेन्द्रसूरि २०४९ अषाड सुद ७ शनिवार अलकापुरी, रतलाम (M.P.) फ ॥३॥
SR No.600276
Book TitleAupapatikopanga Sutram
Original Sutra AuthorJinendrasuri
Author
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1993
Total Pages200
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aupapatik
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy