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________________ - चुक्का अहयं तुमं च इत्ताहै। इय उभयहियंएवं कयं मए दुक्करं जइवि ॥१३८॥ अन्नं च । मह दोसेण महायस पावाभिमुहो तुमंपि संजाओ। ता कह दंसेमि नियं वयणं तुह मंदभग्गाह ? ||१३९।। जइ लोयणहाणीए वारिजइ तुम्ह दुग्गईगमणं । ता किं न मए लद्धं परत्थसारा जओ पाणा ॥१४०। एमाइ जुत्तिसारं गंभीरं देसणं निसामंतो। पडि॥६३९॥ बुद्धो नरनाहा परिओसवसा भणइ देवि ॥१४१।। सुंदरि ! हियाहियाणं सुट्ठ विभागं तुमं वियाणेसि । ता आइस जमियाणि जुत्तं मम मंदपुग्नस्स ? ॥१४२॥ सा भणइ निवं सुंदर ! कुण विरइं परकलत्तसँगस्स । जेण भवसंभवाणं दुक्खाण न भायणं होसि ॥१४३।। अणुतावतिव्वहुयवहडज्झतमणोवणो तओ राया। मन्नतो धम्मगुरु तं पडिवाइ तयाएसं ।।१४४।। हा! कह महा सईए कओ अणत्थो मए अणजेण । इय सोयमीसहंगो जाओ य विमुकवावारो ।।१४५।। अह रइसंदरिदेवी सासणदेविं मणम्मि काळण । काउस्सग्गम्मि ठिया झायंती जिणनाकारं ॥१४६।। आकंपिया य सहसा तयंतियं देवया समायाया । कुणइ णयणाइं तीसे सविसेसविलाससोहाइं ॥१४७।। तइंसणसीयलवारिवारियासेससोयसंतावो। जाओ थिरयरचित्तो पडिवन्नवए नरवरिंदो॥१४८॥ मरिसाविऊण बहुहा पञ्चइयमहंतएहिं परियरियं । कयबहुविहप्पसायं पेसइ तं नंदणं नयरं ॥१४९।। संदिटुं चंदस्सवि जह एसा मज्झ सोयरी भगिणी । धम्मगुरू परमप्पा 1 महासई देवकयरक्खा ॥१५०॥ ता एयाए उरि असुहासंका न काइ कायव्वा । खमियन्वो अवराहा ममावि पाविट्ठल ठुस्स ॥१५१॥ धन्नो तं जस्स घरे तिहुयणलच्छिन्व पंकयदलच्छी। अच्छइ निच्छियसारा एसा सुररक्खिया सक्खा X॥१५२॥ दठ्ठण तं किसंगि सोऊण महिंदसीहसंदिदै। वृत्तंतं च पवित्तं चंदनरिंदो दढं तुट्रो ॥१५३॥ तीए सदि X॥६३९॥
SR No.600269
Book TitleUpdeshpad Mahagranth Satik Part 02
Original Sutra AuthorJinendrasuri
Author
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1991
Total Pages448
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size8 MB
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