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________________ शपदे श्रीउपदे- नगरं । निच्चोरिक कप्पडियगत्तणे पाविया भिक्खा ॥८५।। गामे न जत्थ चाणकएण तिक्खं सआणमिच्छंतो। आए- चाणक्य समेरिसं तत्थ देइ अंबेहि वंसाण ॥८६॥ कायव्वा वाडी चितियं च गामेल्लएहिं कहमेयं । जुञ्जइ कहमपसाओ न दद्वारम हु एसोराउला एसेा ॥८७।। ता छिदित्ता वंसे अंबगरुक्खाण निम्मिया वाडी। विवरीयाणाकारित्तणेण दोसं पयडिऊण । ॥८८॥ बारनिराहेण पलीविऊण गामो सबालवुड्डो सो। दड्डो दुवियड्डमइत्तणेण चाणक्पावेण ॥८९।। ||२२०॥ ___ कोसनिमित्तं जयं जोगियपासेहिं जह कयं तेण । तह पुव्वं चिय भणियं पुराणभावं गए तम्मि ।।९०।। अन्न* मुवायं चितेइ कासपरिवड्डणम्मि चाणको । तो नगरपहाणाणं भत्तं मजं च वियरेइ ॥९१॥ मत्तेसु तेसु निब्भरमुट्ठित्ता नचिउं समाढत्ता। तह गाइयं च गीयं विहिउद्धवुओ कमेणिमिणा ॥९२॥ दो मज्झ धाउरत्ताई कंचणमय कुडिया तिदंडं च । राय मे व सवत्ती एत्थवि मे होलवाए हि ॥९३॥ अन्नो य असहमाणो नागरओ बहुवणिज्जलद्धधणो। तह चेव नचिओ गाइउं च लग्गा भणिउमेवं ।।९४ा गयपोयस्स मत्तस्स उप्पइयस्स जोयणसहस्स। एए पए सयसहस्सं एत्थवि ता मे होल्लवाएहि ।।९५।। ताओ पुण अन्नयरो अइतिब्वामरिसपूरिओ भणइ । नच्चतो गायंता मण सब्भावं ॥२२०॥ इमेरिसगं ॥९६॥ तिलआढयस्स वृत्तस्स निप्पन्नम्स बह सइयस्स । तिलतिले सयसहस्सं एत्थवि ता मे होलवाएहि ॥९॥ तत्तो विजयो अन्नो सो उग्घोसणमिमेसिमसहंतो। पारद्धनद्रगीओ गोहणमंतो इमं भणइ ॥९८।। नवपाउसम्मि पुनाए गिरिनइयाए सिग्धवेगाए। एगाहमहियमेत्तण नवणीएणं पालि बंधामि । एत्थवि ता मे होलवाएहि ॥९९।। जच्चतुरंगाणं संगहेण संपन्नतुंगहंकारो । अन्नो नटुं गीय काउमेयारिसं भणइ ।।१०.०।। जच्चाण नवकिसोराण *************
SR No.600268
Book TitleUpdeshpad Mahagranth Satik Part 01
Original Sutra AuthorJinendrasuri
Author
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1989
Total Pages438
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size8 MB
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