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________________ RXXXXX ||२११। बिलमले ओसही दाउं ॥१२॥ पारद्धं धम्मियं दुद्धरेण नीसेसवाउणा ताहे । सो दुक्करकारुनो बिलमज्झे वसि उमसमत्थो ॥१३॥ पुच्छेण नीइ मा मरउ एस दिट्ठिगोयरं पडिओ। निग्गच्छइ जावइयं तावइयं छिदइ मा वि ॥१४॥ उवणीओ नरवइणो सो खमगाही पहाणपत्तीए । पुत्तत्तेणुववन्नो अइदूरनिरुद्धकोहविसेा ।।१५।। ते। नागदेवयाए । राया संबोहिओ जहा नागा। मारेयव्वा नेत्तो तुमए पुत्तो भविस्सइ ले ।।१६।। कालक्कमेण जाओ विहिओ य महा. महो कयं नामं । जह नागदेवयाए दिन्नो तह नागदिन्नो त्ति ।।१७।। उम्मुक्कबालभावा साहुं दळूणं संभरियजाई। जायविरागा पव्वज्जमणुगओ अइसएण खमी ।।१८।। सेो पुवतिरिक्खभवाणुभावओ निचमइछुहालू य । सव्वमुणीण समक्खं न मए मरणावि कुवियव्वं ।।१९।। एवमभिग्गहमुग्गं गिन्हइ हिडइ पभायसमयम्मि । अइतिव्वछुहाछोहियदेहो दोसीणभत्तकए ।।२०।। तस्स य गुरुणो गच्छे जस्स समीवे स गहियपव्वजो । खमगा साहू चिटुंति सुठ्ठ निट्ठियसरीरबला ॥२१।। एगबितिचउमासे कओववासा कमेण चत्तारि । पवयणगुणाणुरत्ता अहरति देवया एगा ॥२२॥ ते उल्लंघिय चउरो कमोवविठू मुणी तओ खुडं। वंदइ नंदियहियया पुच्छइ कुसल च देहस्स ।।२३।। निग्गच्छंतो ठाणाओ ताउ अमरिसवसेण एगेण । खमगरिसिणा करे सा धरिया भणिया य एरिसगं ।।२४।। हंहो कडपूयणि पूयनिजचरणा इमे खमगसाहू । वञ्जिय वंदेसि तिकालभोइणं खुड्डयमिमंति ॥२५।। सा भणइ भावखमगं वंदे हैं दब्बो इमे खमगा। एस विसेसो कल्ले पभायसमए फुडं होही ॥२६॥ सो दोसीणस्स कए पभायसमए गिहेसु सड्डाण । आहिंडिय वसहिगओ इरियावहियं पडिक्कमियं ।।२७।। भत्तं पाणं चालोइऊण खमगे निमंतए जाव। लोगेण ॥२११।।
SR No.600268
Book TitleUpdeshpad Mahagranth Satik Part 01
Original Sutra AuthorJinendrasuri
Author
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1989
Total Pages438
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size8 MB
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