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दो प्रतों की सहायता ली है. बीच में अतिमुक्त मुनि का कथन. भगवतीजी सूत्र में का अर्थ का उतारा
र पूर्ण किया है. और गजसकमालजी का अधिकार ज्ञाताजी के प्रथम अध्ययन के अनुसार सुधाराकिया है. यस्तता से दृष्टी दोष ब. कुरूप सुधारे में पहुनसी अशुद्धीयों रहगई है उसे "सुधार कर पठन करने की कृपा कीजीये.
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+ प्रयोजक बाल अमचारी मुनि श्री अमोलक ऋपिणी ।
अन्तकृत मत्र की-अनुक्रमणिका. प्रथम वगै १. अध्ययन ....
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चा धर्म अध्ययन द्वारका नगरी का कृष्णजी की ऋद्धिका
कृष्णजी की पटराणियां के८ अ० । गौतमकुमार के जन्मादि का ...
द्वारका दहन, कृष्णजी तीर्थकर गोत्र . दीक्षा मोक्ष प्राप्ति समुच्चय
- मूलदत्चामूलश्री के दो अध्ययन ... २द्वितीय वर्ग ८ अध्ययन समुच्चय
षष्टम वर्ग-१६ अध्ययन .. . ... ३ तीसरा वर्ग १३ अध्ययन . उभ्रात साधुओं का . :........
मकाइ और विक्रम गाथापतिका सातवा साखकुमार का अध्ययन ... १४
तीसरा अर्जुनमाली का पाठवा गजमुकुमालजी का अध्ययन.....१५
चौथे से चउदवे अध्ययन संक्षेप में समुखकुमारादि के पांचो अध्ययन ... ५० - पन्दरवा अध्ययन, अतिमुक्त कुमार ... 1 ४ चौथा वर्ग १. अध्ययन.
सोलवा अध्ययन अलखराज का ... १०४
प्रकाशक-राजाादुर साला सुखदेवसहायजी-ज्वालाप सादजी *
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