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________________ 08 अन सन्तकृत, मून अन्तकृत सूत्र की प्रस्तावना. श्रीमहावीर देवस्थ, सद्गुरुरये नमस्कृत्य । अन्तकृतस्य सूत्रस्य, वार्तिकं कुरुते मया ॥ १ ॥ श्रीमन्महाबीर स्वामी जी को और सद्गुरु को नमस्कार करके अन्तकृत दशांग श ख के अर्थ का सुख से अवबोध होने के लिये हिन्दी अनुवाद करता हूं. सप्तमांग उपासक दर्शाग में श्रावकों की करणी फल का कथन किया, इस अनुमांग मे साधु की उत्कृष्ट करणी के कष्ट फल का कथन किया { जाता है. इस का नाम अन्वकृतदशांग है, जिन २ जीवोंने उत्कृष्ट तप संयमाचरण कर संसार का तथ कर्मों का अन्त कर के संसार के अन्त में रहा मोक्ष सुख की प्राप्ति की ऐसे. महद्दविकसितीनां गौतम पद्मावती पुरोगाणाम् । अधिकृतसिवान्त सुकृताः स्मरतोचैरन्तकृद्दशाः कृतिनः ॥ १ ॥ गौतमादि महर्षि और पद्मावती आदि महा सती, यो ९० संत सती पवित्रात्मा के चरित्र का कथन इस सूत्र में किया गया है. इस के८ वर्ग और ९० अध्ययन हैं. इस का मुख्यता में उतारा तो श्रावक हररीळाल जी की पास से खेतसी जीवराज की तरफ से छपी हुइ मत से किया है और गौणता में मेरे पास की Jain Education International C For Personal & Private Use Only 494544 www.jainelibrary.org
SR No.600258
Book TitleAgam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages150
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_antkrutdasha
File Size15 MB
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