________________
40
-
अष्टमणिभंतगर दांग मूत्र
* सप्तम्-वर्ग * एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं छट्टस्स वग्गस्स अयम? पण्णते,जहणं भत! सत्तमस्स उखयो जाव तेरस्म अज्झयणा पन्नत्ता तंजहा-नंदा, नंदावती, चेव, नंदुत्तरा, नंदसेमिया, चेव ॥ मरूता, समरुत्ता, महामरुत्ता, मरुदेवीय, अट्ठमा ॥१॥ महातहा सुभद्दा,सुजाया, सुमणीइयाभयदीणाय,बोधवा,सेगिय भज्जा णानामाइं॥२॥ जहणं भंते ! तेस्स अझयणा 'पण्णता, पढमस्सणं भंते ! अडायणस्स समणेणं जाव संपत्तेणं के अटे पण्णवे ॥ • ॥ एवं खलु जंबु ! तेणं कालण तेणं समयणं यो निमय, जम्मू ! श्रपण भगवंत श्री महावीरसामी यावत् यावत् मुंकि पधारे उनोंने पहम वर्ग का ता उक्त कथन कहा और सातवे पर्य के नरें अध्ययन कई हैं. उनके नाम- नंदा सणी काका
२ नंदवती.राजी का, ३ नन्दुत्तरा राणी का, ४ नंदसेना राणीका, ५ मरूता राणी का, ६ सुमरुत्ता 4राना का, महायस्ता राणी का,८ मरुदेवी राणीका॥१॥९ भद्दा राणीका,१० सुभदा गणीका, १३ मुजाता
राबी का, १२ मुपतीराणी का, और १३ भूतदीना राणो का. इस प्रकार यह तेरे ही श्रेणिक राजा की रामायों मानना ॥ २॥ यदि अहो भगवन् ! सातवे वर्ग के तेरे अध्ययन कह हैं तो प्रथम अध्यय काका या सर्व गा ! ॥२॥ योनिश्रय, जम्बू ! उस काल उस समय में रानगृही नगरी, गुष..
ranirwarimammohammwwwmornim
Mammamimaraansweariwwwimire
4-8488ससप-वर्गका प्रवन अध्ययन
मा
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org