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3: रायोगहे जयरे, गुणसिल चेइए, सेणिए राया, वण्णओ ॥ ३ ॥ तस्सणं सेणियस्स
रणो नंदा नाम देवीहोत्था वण्णओ ॥ ४ ॥ सामीसमोसड्डे परिसाणिग्गया ॥ ५ ॥ तत्तेणं सानंदादेवी इमिसे कहालहटेसमाणे हट्टे, कोडुबिय पुरिसे सहावेइ २ चा जाव णवरं जहा पउमावइ जाव एक्काररस अंगाई अहिजित्ता वीसंवासाई परियाओ पाउमित्ता, जावसिद्ध ॥ सत्तमस्स वग्गस्सपढमझायणं ॥७॥३॥ एवं तेरस्सवि देवीओ
नंदागमेणं नेयवा, निखवतो तेरस्सम्म अझयणं सम्मत् ॥७॥१३॥सत्तमो वग्गस्स॥७॥ सिला चैत्य, श्रेणिकराजा, इनका वर्णन जानमा । उस श्रेणिकराजा के नंदानामे रानी मुखमाल पावत् सुरूमाधी ॥ श्रमण भगवंत श्री महावीर स्वामीजी पधारे, परिषदआइ, ॥ तब वह नन्दादेवी भगवंत का आगम मुनकर हर्षपाई, कोदुम्निक पुरुष को बाला कर किरथ सज्जकराया. पद्मावती रानीकी तरह आइ धर्मकथा सुनी, श्रेणिक राजा से पूछ कर दीक्षा ग्रहण की, इग्यारे अंग पढी, बीस वर्ष दीक्षा पाली यावत सिद्धगति को प्राप्त हुई । इाते सप्तम वर्ग का प्रथम अध्ययन संपूर्ण ॥ ७॥१॥ जिस प्रकार नंदा
राणी का कथन कहा, इस ही प्रकार उक्त नाम प्रमाणे तेरेही राणीयों के तेरे अध्ययन अलग २. जानमा. 10वि मेरे अध्ययन संपूर्ण ॥ इति सप्तम वर्ग समात ॥७॥
वादक-बालप्रमचारी मुनि श्री अमोलक अपिजी
• प्रकाशक-राजाबरादुर खाला सुखदेवसहायणी
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