________________
PEO
म अनुवादक-बार.ब्रह्मचारीमान भी अमोलक ऋोना ।
है रेगयरे सुपणेगाम राया.त्था, महिया हिमवंत मलय मंदर ॥ १३॥ तत्थणं
हत्थिमाउरे जयरे बहुमझदेसमाए ९ महएगे मोमंडवेहोत्था, अणेग खंभमय रागिट्रेि. पासाईए ४॥ ११! तत्ययं बहवे णयर गोरखा सणाहाय अणाहाय
घरमाची उतपरिवतीदाय या डिपाउय, जयामहिसउय णयर वसभाय, पउर तण पाणिय शिब्भयागिकिया, सह सहेण परिवस॥१५॥ नत्थणं हथिणाउरे
भीमगान कडरगाहहोत्था, अहम्भिए जाव दुप्पडियाणंद ॥ १६ ॥ तस्सणं भीमस्स वह राजा महा हिमत पर्वत समान मलयाचल तथा मस पर्वत समान था ॥ १३ ॥ उस हस्तिनागपुर नगर के मध्य में तहां एक सीमा) था, वह अनेक स्थम्भोंकर वष्टित चित्तको मरुभका देखने योग्य अभीरूप, प्रतिरू। था ॥ १४ ॥ उस गांशाला में बहुत नगर के चौपद-पशु सनाथ-मालको के, अनाथ-विनामारको क गरीगाइयों, नगर के बैलो नगर के भेना, नगर के पाडे (भेंसे) नगर क महावृषपो (मांड । इत्यादि उप में रहते थे, उस गोशाला में खाने के यि घांस व दाना पीने के लिये पानी. बहुत था. वे पशओं सर्व प्रकार के भप रहिन सत्र २ में अपना जीविन व्यतीत करने थे॥१५॥ तहां हसिनागपुर नगर में भीम नाम का कुडग्राही कुर्दिमे द्रव्योपार्जन करने वाला | अधर्म कर यावर कर्म कर आनन्द प्राप्त करनेवाला रहता था ॥१६॥ उसभीम कुडग्राही की उत्पला नाम की भार्या थी. वह
•प्रकाशक-राजीबहादुर लाला मुस्वडेनसहायजी ज्याला प्रसादजी.
|
।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org