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________________ सूत्र अनुवादक- बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी • सहरहरु रण्णी बहवे चौरेय, परिदारिय, गंठीभेदेयशया वका रायअण्णधारतेय, बालघातेय त्रीसंभघातेय जूइकरेय, खंडपट्टेय पुरिसेहिं गिण्हवेइ २त्ता उत्ताणएयाडेई, लोहदंडेण मुहं विहाडे, अप्वेगएए ततं तंब पज्जइ, अप्पेगए तओयं जेइ अप्पेगएए सीसगं पज्जेइ, अप्पेगएए कलकलं पजेइ, अप्पेगएए खारतिल्लं पज्जेइ अप्पेगएए तेणंचेच अभिसेगं करेइ, अप्पेगए उत्ताणएवाइ, आंसमुत्तं पज्जेइ अप्पेगए हत्थिमुत्तं पज्जेइ, जाब एलमुत्तं जेइ, अप्पेएए हिट्टामुहं पांडेइ, बलस्सवम्मावेइ, अगए एर्णचेव उवील. जेलर सिंहस्थ राजा के बहुत से चोरों को, परखी के लम्पट को, गठडी छेदने वाले को, राजा के अपराधी को, बहुत ऋण वाले को, बालक के घातक को, जुगारी को, धूर्तठगारे को, इत्यादि जुलम करने वाले को अन्य सूमों के पास से पकडाकर, चित्ते सुलाकर लोहके संडासी से मुह फडाकर, किसी के मुह मे तप्त [ किया अनि समान ताम्बेका रस पिलाता था, कटुक चरन पोला हुवा उष्ण पानी पीलाता था, कितने क को क्षार पिलाता था, कितनेक के शरीर पर उक्त वस्तुओं सींचन करता जान कराता हुआ, को चिसासूलाकर उनके मुख में घोड़े का मूत, हाथी का मूत यावत् बकरे का मूत पिलात था, कितनेक कितनेक को उलटे मूह पटक कर लता-छड़ीयों के सडा के मारता था, कितनेक के सिरपर बहुत सिलाओं रखकर खदा रखता था, कितनेकको हथकड़ी पहनाता, कितनेक को बेडी पहनाता, कितने कका खोडेमें पांच डालता, For Personal & Private Use Only Jain Education International * प्रकाशक - राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वाला प्रसादजी १.११ www.jainelibrary.org
SR No.600256
Book TitleAgam 11 Ang 11 Vipak Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages216
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_vipakshrut
File Size22 MB
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