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________________ अर्थ 48 अनुवादक - बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी अप्पेगइया उट्टसुमुत्त भारियाओ, अप्पेगइया गोसुमुत्त भारियाओ, अप्पेगइया एलयसुमुत भारियाओ, अप्पेगइया महिसमुत्त भारियाओ बहुपडिपुण्णाओ चिट्ठइ ॥ १० ॥ तरसणं दुज्जोहणस्स चरगपालस्स बहवे - हत्थंडुयाणय, पायंडुयाणय, हडीणयया, {णियलाणय संकलाणय पुंजाय णिगराय सणिखित्ता चिट्ठति ॥ ११ ॥ तरसणं दुज्जो - हणस्स चारगपालस्स बहवे बेणुलयाणय, चिचा छिबाणं कसाणय वायरासीणय पुंजागिरा चिट्ठेति ॥ १२ ॥ तस्मणं दुज्जोहण चारगपालस्त बहवे सिलाणय, उडाण मोग्राणय, कण्णगराय पुंजाणिगरा चिट्ठइ ॥ १३ ॥ तस्सणं दुज्जोहण चारगपालस्स गौका मूत भरा था, कितनेक बकरे का मूत भरा था, कितनेक में भैंसों का मून भरा था, इत्यादि कर प्रतिपूर्ण भर कर वे कूंडे घडे रक्खे थे, ॥ १० ॥ उस दुर्योधन जेलर के बहुत से हाथ के बन्धन -हथकडी, पांव के बंधन - बेडी, खोडा बेडी सयुक्त, सांकलो, बडी बेडीयों इत्यादिकों का दगकिया हुवा रक्खाथा ॥ १.१ ॥ उस दुर्योधन जेलर के बहुतसी बांसकी लता (छडीयों) बेंतकी लता, काष्टकी लता, अम्बलीकी कांचा (छडी) चमडेकी लता-चाबुक, वांक-सनकी डोरीयों, ताडन करनेको मारनेको ढगकर रक्खी थी ॥ १२ ॥ उम दूर्योधन { जेलर के, बहुतसी पत्थर की छोटी सिला, बडी लठीयों- मुद्गर तथा मोगरीयों, जागर हलों इत्यादिका मारने के लिये { संग्रह कर रक्खा था || ११ | उस दूर्योधन जेलर के बहुतसी तांत समान मजबूत अतीपतली (बन्ध से Jain Education International For Personal & Private Use Only * प्रकाशक- राजाबहादुर लाला सुखदेवसहाषजी ज्वालाप्रसादजी * ११४ www.jainelibrary.org
SR No.600256
Book TitleAgam 11 Ang 11 Vipak Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages216
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_vipakshrut
File Size22 MB
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