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अर्थ
49 अनुवादक बालश्रमचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी +
सुभद्दे णामं त्वा होत्था अड्डे || ६ || तस्सणं मुमद्दस्स सत्यवाहस्म भद्दा नामं भारीया होत्या अहीण ॥ ॥तस्वणं सुभद्दस्ससत्यवाहस्त पुत्ते भद्दाए भारियाए अत्तए सगडे णामं दारए होत्था अंहीण | ८ || तेणकालणं तेर्णसमएणं समणे भगवं महाबीरे समोसरणं. परिसा राया णिग्गया, धम्मो काहओ, परिसारामा पांडेगओ ||९|| तेकाले समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स जट्ठे अंतेवासी जाव रायमग्गे उगाढे. तत्थणं हत्थी आसी पुरिसे तेसिणं पुरिसाणं मज्झगयं पालई, एगंस इत्थियं
वाही रहता था वह ऋद्धिवंत था || ६ || उस सुभद्र सार्थ वाही के भद्रा नाम की भार्या थी वह संपूर्ण अंगवाली सुरूप थी ॥ ७ ॥ उस सुभद्र सार्थवाही का पुत्र भद्रा भार्या का आत्मज शकट नामका कुमार ईथा वह भी सर्वांग पूर्ण सुरूप थां ॥ ८ ॥ उस काल उस समय में श्रमण भगवंत महावीर स्वामी पधारे, परिषद तथा राजा आये, धर्म कथा सुनाइ, परिदा राजा पीछे गये॥२॥उस वक्त श्रमण भगवंत के जेष्ट शिष्य गौतम | स्वामी छठ-बेलाका पारनालेने श्रमण भगवंतकी आज्ञा लेकर सोहजनी नगरी में गोचरीगये, फिरते हुवे राज्यपथं में पूर्वोक्त प्रकार ही बहुत हाथी घोडे सुटों के मध्य में एक स्त्री पुरुष का जोड़ा उलटी को सेबन्धा बुबा, जिनके कान नाक छेड़न किये, पूर्वोक्त प्रकार फूटा ढोल बजाते उदघोषता करते देखा, तैसे ही भगवंत के पास आये आहार बताया व्यतीत कर नीवेदनकर पूछने लगे-अहो भगवन्! वे स्त्री पुरुष कौन है
और पूर्व जन्म
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* प्रकाशक- राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी *
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