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________________ मुनि श्री अमोलक ऋषिजी भगवंत ने बताये ब्रतों के अतिचार १६ । आणंद श्रावक का अभिग्रह पाणंदने स्वस्त्री को भी धर्मात्मा बनाइ २७ । आणंदने इग्यारे प्रतिज्ञा का कथन २९ पाणंद का संथाराव अवधिज्ञान की प्राति३४ गौतम स्वामी का आगा व संशय ३७ आणंद का देवलोक गमन व सिद्धी कथन ४३ २ द्वितीय अध्ययन कामदेव श्रावक का ४८ कामदेव की संपत्ति व व्रताचरण पिशाच रूप का वर्णन व उपसर्ग ४९ इस्ति रूप का वर्णन व उपसर्ग सर्प रूप का वर्णन व उपसर्ग इन्द्रकृत व देवकृत कामदेव की स्तुति १२ भगवंसने भी कामदेव की प्रसंशा की ६५ ३ तृतीय अध्ययन चल्लनीपिता श्रावक को ७१ चुल्लनीपिता की संपत्ति व देवकृत उपसर्ग ७१ भद्रा माता की दी हुई हित शिक्षा ७८ ४ चतुर्थ अध्ययन मुरादेव श्रावक का संपती उपसर्ग व स्त्री की दी शिक्षा ५ पंचम अध्ययन चुल्लशतक श्रावक का ८९ ६ षष्ठम अध्ययन कुंडकोलिक श्रावक का सामायिक की दृढता मनीयतवाद. मो शाले के मत का खंडन ७ सप्तम अध्ययन सद्दालपुत्र श्रावक का १०२ देवताने भगवंत आगम दर्शाया भगवंतने नियतवाद खंडन किया ? मोशालककृत भगवंत की स्तुति ११८ ८ अष्टम अध्ययन महाशतक श्रावक का संपत्ति व व्यापार का प्रमाण रेवती स्त्री की दुष्टता महाशतकने रोहिणीको श्राप दिया १४१ महाशतकको गौतम स्वामीने प्रायश्चित्त १४४ ९ नवम अध्ययन नन्दनी पिता श्रावकका १४९ २० दशम अध्ययन सालनी पिता श्रापकका १५१ दशही श्रावकों का संक्षिप्त यंत्र काश्क-राजाबहादुरबाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी 4प्रयाजेक. बाल ब्रह्मच Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600255
Book TitleAgam 07 Ang 07 Upasak Dshang Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages170
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_upasakdasha
File Size18 MB
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