SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 11
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 428+ सप्तमांग उपासक दशांग सूत्र 4 1. इस सूत्र का मूल का लेख तो कच्छ देश पावन कर्ता पडित मुनिराज श्री नागचंद्र महाराज के तरफ से मीली हुई घनपतसिंह बाबु की प्रत पर से किया है और अनुवाद मेरे पास की अर्थवाली प्रत से किया है. छपते समय प्रूफ का सुधारा पंजाब देश पावन कर्ता उपाध्याय श्री आत्मारामजी महा| राज की अनुवाद की हुई पुस्तक पर से किया है. यह पुस्तक छपती वक्त मणिलाल भाई स्वदेश गये थे, और मेरे शरीर में ज्वर व्याधि होने से प्रूफ सुधारने में प्रमादवशात् कितनेक स्थान अशुद्धियों रहने का { संभव है सो विद्वद्वर शुद्धि करके पठन करेंगे. आनंदादि श्रमणोपासकदश के तिवृत्त सुभगार्या । किशदामुवासकदशा भावदर्श ममदिशंतु सदा ॥ इस उपासक दशा शास्त्र में आनन्दादि दों श्रावकोंने जो व्रत धर्म का आचरण 'किया उस का कथन व उन व्रतों का स्वण्डन कराने को देवताओंने प्रयत्न किया, परंतु उनोंने खण्डन नहीं किये चुस्तधर्मी | जावज्जीव पर्यंत बन रहे जिन की आत्मा का कल्यान हुवा जिस का कथन सविस्तर किया गया है. उपासकदशा की अनुक्रमणिका, १ प्रथम अध्ययन आनंद श्रावक का आणंद की सम्पत्ति व स्वभाव Jain Education International १ ३ 1 महावीर स्वामी का आगमन श्रावक के आठ व्रतों का कथन For Personal & Private Use Only ७ * विषयानुक्रमणिका 4 www.jainelibrary.org
SR No.600255
Book TitleAgam 07 Ang 07 Upasak Dshang Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages170
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_upasakdasha
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy