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________________ * अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी + पंच महुँत्ता पण्णासंच बावट्ठी भागा,बावट्ठी भागंच सत्तप्तट्टिया छेत्ता छट्टि चुणिया भागा सेसा समयं चणं सरे केणं? ता उत्तराहि असाढाहिं. उत्ताराणं असाढाणं चरम समये ॥२०॥ताएएसिण पंचण्हं संवच्छराणं दोच हेमंताकयं आउटिं चंदे केण? ता सतभिसयाहिं सतभिसयाणं दोमुहुत्ता अट्ठावीस, बावट्ठी भागा मुहुत्तस्स सेतालिसं चुणिया भागा सेसा किस नक्षत्र साथ योग करता है ? अहो गौतम ! माघ बदी के प्रथम समय में हस्त नक्षत्र के पांच तारे कहे हैं इससे हस्त नक्षका का योग होता है. यह नक्षत्र हुवचन से पांच मुहुर्त ५० भाग ६२ ये ६० भाग ६७ ये शेष रहे तब उसके प्रथम समय में युग की आदि से दूसरी आउटी का प्रथम समय होवे. उस समय सूर्य किस नक्षत्र साथ योग करे ? अहौ गौतम् ! उस समय उत्तराषाढा नक्षत्र की माथ मूर्य योंग करे. उत्तष ढा नक्षत्र के चार तारे कहे हैं. यह नक्षत्र चरम समय भोगव कर अभिजित नक्षत्र के प्रथम समय में युग की आदि में दूसरी आउटी का प्रथम ममय प्रवते. इम का गणित प्रथम आउटी जैसे जानना ॥ २० ॥ अहो भगवन् ! इन पांच मंवत्सर में दूसरी हेमंत काल संबधी चौथी प्राउटी कर बैठती है. ? और कौनसा नक्षत्र चंद्र पाथ योग करता है ? अहो गौतम ! शतभिषा नक्षत्र के १०० तारे कहे हैं, इस मे अनेकवच में शतभिषा नक्षत्र २ मुहुर्न २८ भाग.६२ ये ४६ चूरणिये भाग ६७.थे शेष रहे तब इस के प्रथम समय में युग की आदि से चौथी आउटी का प्रथम समय हावे. प्रकाशक-राजाबहादुर लाला खदवसहायजी ज्वालाप्रसादनी । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600254
Book TitleAgam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_chandrapragnapti
File Size8 MB
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