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सूरे केणं गक्खत्तेणं पूसेणं पुसस्सणं तंचेव ॥१८॥ता एएसिणं पंचण्हं संबच्छराणं पंचम वासि किं आउट्टि चंदे कणं पक्खनेणं, ता पुयाहि फग्गुणिहिं पुवाणं फग्गुणीणं वारस मुहुत्ता सत्तचालीस बावट्ठी भागा मुहत्तरस तरसय चगिया भागा सेर! तम्म चगं सूर कण? त! पसं, पुस्तणं एकूण वीसा महतरस तेत्तालच बाब भागा बारही भागंच सत्त-ट्रिया छत्ता तत्त। नेव चजिया ॥ १९॥ तमिण पहं संवच्छराणं पढभ हसते आउहि चंदे कगं णखणे ? ता हत्थेग, हत्थासणं मुह ४३ भाग ६२ से ३३ भाग ६७ येते.
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स मय में या श्री आदि स माती ही काम समय कैडे. ॥१॥हो भग ! इन पांब संवत्सर में पांचवा ल संबंधी को भी किस तिीि पर बैठती है और चंद्रस नक्षत्र साय यंग करता है? अहो और ! फिल्गन नाच के दो सार केहे हैं. इनसे अनेकवचनले पूफ जानी नक्षत्र १२ मुद्दा ४७ भाग १.
२ ३ चरणिये भाग ६५ ये शेष रहे तब युग से नववी अस्टी का प्रथम समय में बैठे. आ 'गान् ! उस पय गर्थ किस नक्षत्र साथ याग करता है ? अगौतम ! म मय पूर नक्षत्र माय सूर्य याग करना है. इसके ताननारे कहे हैं. यह १२ रा ४३ भाग १२ये ३३चनिये भाग. येशप रह और मूर्य नक्षत्र २६४ मुर्न रहर के प्रथा समयकी अउ का प्रधाब .॥ १९ ॥ अदभगान् ! इन पांच सासर में प्रथम हयंत काल संबंध आउटा कर बैठती है और इंद्र
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