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________________ मूत्र अर्थ संतदश चंद्र प्रज्ञप्ति सूत्र षष्ठ- उपाङ्ग छेता तेयण्णं चुष्णिया भागा सेसा ॥ तं समयं चणं सूरे ता पुसेणं पुरसणं तंचेव पढमाए ॥ १६ ॥ ता एएसिणं पंचण्हं तच्चं बासं कि आउट्टि चंदे केणं णक्खत्तेणं पुच्छा ? ता विहा विहाहिं विसाहाणं तेरस Jain Education International भाग देना. शेष रहे उम्र में से अभिजित नक्षत्र से नक्षत्र निकालना, अहो भगवन् ! उस समय सूर्य कौन नक्षत्र साथ योग करता है ? अहो गौतम ! पूष्प नक्षत्र साथ सूर्य योग करता है. इस नक्षत्र के तीन तारे हैं. जैसे प्रथम आउदी में कहा वैसे ही पूष्य चंद्र नक्षत्र सूर्य माथ ११ मुहूर्त ४३ भाग ६२ या ३३ भाग ६७ था शेष रहे और सूर्य नक्षत्र २६४ शेष रहे उस के प्रथम समय में सूर्य योग करता है। और तीसरी आउटी का प्रथम समय भोगता है. इस का गणित प्रथम जैसे जानना ॥ १३ ॥ अहो भगवन् ! इन पांच संवत्सर में तीसरी वर्ष ऋतु संबंधी युग से पांचवी आउटी कब बैठे और चंद्र किस नक्षत्र साथ योग करे ? अहो गौतम ! श्रावण शुदी १० को बैठे विशाखा नक्षत्र के पांच तारे हैं इस से बहुवचन में विशाखा नक्षत्र १३ मुहूर्त ५४ भाग ३२ ये ४० चूरणिये उस के प्रथम समय में युग की आदि से पांचवी आंटी का प्रथम समय में चंद्र गणित प्रथम आउटी जैसे जानना यहां पांव में से एक बाद करते धनराशिको चार से गुना करके माप वराशि से भाग देना. भाग ३७ ये शेष रहे योग करता है. इस का शेष ४ रहे, इस से दूसरी अहो भगवन् ! उस समय पुच्छा ? संवच्छराणं For Personal & Private Use Only +++* बारहवा पाहुटा 43+p ३२७ www.jainelibrary.org
SR No.600254
Book TitleAgam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_chandrapragnapti
File Size8 MB
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