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अर्थ अर्थ
48 अनुवादक बालब्रह्मचारीमुनि श्री अमोलक
{ संच यात्रट्टी भागा बावट्ठी भागंच सत्तसट्टि छेत्ता तेत्तीस चुणिया भागा सेसा ॥ १५ ॥ ता संच्छराणं दोघं वासि किं आउटिं चंदे केणं णक्खत्तण जोगं जोतेति ? ता एक्कारस मुहुत्ता एगूण चालीस बावट्ठी भागा बावट्ठी भाग व सप्तसट्ठिया
• एएस पंच भगरेमगरे
{ से गुनते ७९२० होवे और सूर्य साथ४०२ मुहूर्त का यह नक्षत्र है, इसने७९२० को ४०२ से भाग देने से ११ मुहूर्त आये, शेष २८२ रहे, इस के ६२ ये भाग करने के ६२ मे गुना करना, इस से १७४८४ हुवे. इस को ४०२ से भाग देने से ४३ भाग ६२ ये आये शेष १९८५ रहे. इस को ६७ से गुना करके ४०.२ से भाग देना इन से ३३ भाग ६७ ये आये इस से सूर्य साथ पूण्य चंद्र नक्षत्र १९ मुहूर्त ४३ भाग ६२ या ३३ चूरणिये भाग ६७ ये शेष रहे उस के प्रथम समय में प्रथम आउटी बैठे. इस से सूर्य पूष्य का योग करे || १५ || अहो भगवन् ! इन पांच संवत्सर में दूसरी वर्षा काल संबंधी आउटी क बैठे ? अर्थात् युग की आदि से तीसरी आउटी कब बैठे ? और चंद्र किस नक्षत्र साथ योग करे ? अहो गौतम ! श्रावण वदी १३ को तीसरी आउटी बैठे. मृगशर क्षत्र के तीन तारे हैं इस से बहु बचन में मृगशर नक्षत्र अग्यारह मुहूर्त ४१ भाग ६२ ये और ५३ चूरणिये भाग ६७ ये शेष रहे उस के प्रथम समय में युग की आदि से तीरी अ. उटी का प्रथम समय बैठे. इस का गणित पहले जैसे 'थ'त तीन में से एक बाद करके शेष दो रहे. इस से दूसरी धृवराशि को गुना कर प्रथम ध्रुवराशि से
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• प्रकाशक - राजा बहादुर लाला सुखदेव महायजी ज्वालामसदाजी
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