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अर्थ
भाग ६१ ये के चरम समय में भोगव कर पूरी होये. इसी तरह सब का जानना. छ अातु कार से नक्षत्र में *संपूर्ण हाये और कौक से मात्र शेष रहेइनकाय ते..इस तर नमो भाग शेष रहे तव ऋतु परिपूर्ण हवे.
नक्षत्र
दिन माग
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सूत्र-षष्ठ उपाङ्ग
पूर्वाफाल्गुनी २. वसंत अश्विनी
३२॥ ५ वर्षा स्वाति ३ ग्रीन यो सब नक्षत्रों की मान्यता जानना. प्रत्येक ऋतु ३०५ भाग ६७ ये रात्रि की हैं. प्रथम प्रवृट् ऋतु के १५२॥ भाग ६७ये अहोरात्र के गया पीछे एक नक्षत्र मास की पर्याय पूर्ण हो.दूसरा नक्षत्र माप क १५२॥ भाग ६७ अहोरात्र के गये पीछे प्रवत् ऋतु की पर्याय पूर्ण हो. इस नक्षत्र के योग में चंद्र नात एक या में ५.२ कही. अब सूर्य ऋतु के परिमाग कालमेंद्र ऋतु का परिमाण क.ल होंगे. लेक कर्ड से जितना एक चंद्रमा का परिमाण होवे यह कहते हैं. प्रत्येक चंद्र ऋतु दो मास की जानना. यह कितने प्रमाण में है सो कहते है. चंद्र संवत्सर ३५४३ अहोरात्री का है, इस को छ का भाग देने से ५१३ अहोरात्र हो. ऐनी चंद्र ऋतु
थे, और एक युग में ऋतु तीस व ऋतु मास [ कर्म मास] ६१ होवे, इस अपेक्षा से एक चंद्र ऋतु
बारहवा पाहुडा 98454
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