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अर्थ
4 अनुवादक बालब्रह्म च मुनि श्री अपलक ऋजी
ऋतु आश्री लैकिक व्यवहार से एक २ अनमरात्रि होते. संपूर्ण कर्म संवत्सर में छ अवम रात्रि होवे. ह व्याहार नय से चंद्र सत्र की अपेक्षा से कर्म संवत्सर में होने, लौधिक ग्रीष्म ऋतु का तीसरा पर्व सो अशाढ का कृष्ण पक्ष, सात पर्वको भाद का कृष्णपक्ष में एक २ मःम छोड़कर भाग का माम का कृष्ण पक्ष लेना. अब अवका कथन करते हैं मात संपूर्ण तीन अत्रि का है और चंद्र प स २९ अहोर त्रि का है. कर्म मास की असे चंद्र की याद करने ईस ३० भाग ६२ ये रहा इनकी एक मास में अवम रात्रि जाग्ना जी अहोरात्र में ३० भाग ६२ ये अवम रात्रि है तब एक रात्रि में एक भाग र य अमरुत्रि होइन मे ६२ व तीवी में एक एकट में दिन्में पूर्ण हुई, और
अवम रात्रि हवे. इन ती
तीथी की
प्रवृत्तिई. यहीबाट ६१ भाग अहोरात्र की है. इस तरह एक युग में तीन अम रात्र हो. चंद्र ऋतु संबंध अम कहते हैं. बाल में अवरात्रि हो वहां ही वर्षा काल के
चतु
प्राण हो. इस स में दूसरी अम रात्रि
काल के तीसरे पर्व में
शीतकाल के तीसरे (मूलक्ष ११ प ) में
शनि का केस
में चौथी
* सूर्यादि क्रिया उपलक्षित, अनादि
पति व अधिनियत
काल की हानि वृद्धि नहीं होती है. परंतु
जो अवमरात्रि अति रात्रि कही है वह परस्पर मास की अपेक्षा से है. कर्म मास की अपेक्षा से चंद्र मास में अवमरात्रि होवे और कर्म मास की अपेक्षा से सूर्य मास में अतिरात्रि होते.
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राजाबहादुर लाला सुखदेवमयी ज्वालाम
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