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आदिच्च उऊ चंद नक्खत्तेणं संवच्छरा समादिया समपसिया ? ता सत्तावण्ण मासा . सत्तय अहोरत्ता एक्कारमय मुहुत्ता तेवीसंच वावट्ठी भागा मुहुत्तस्स एएणं अभिवड्डिय
मासा सट्ठ। एए आदिच्च मासा एगट्ठ। एए उउमासा, वावट्ठीए चंद मासा, सत्तसट्ठी पर एए नक्खत्त मासा एसणं अह छप्पन्नसय खुत्त कडा, दुबालस भत्तिया सत्तसया चोयाला ३ एप्तणं अभिवड्डिया संवच्छरा सत्तसयाएसिया एएणं आदिच्च संबच्छरा, सत्तसयति
आदित्य संवत्सर, ऋतु संवत्सर, चंद्र संवत्सर व नक्षत्र संबस्सर इन पांचों संवत्सर का पर्यवसान कर समान हो ? अहो गौतम ! एक युग के अभिवर्धन मास, ५७ सात अहोरात्रि, इग्यारह मुहू २३
भाग ६२ ये , एक युग में साठ आदित्य मास हैं, ६१ ऋतु माम है, ६२ चंद्र मास है और ६७ L. नक्षत्र मास है. इन पांचों संवत्सर के मास को काल से १५६ गुना करना और बारह से भाग देना, जिस
Rसे ७४४ अभिवर्धन संपत्सर, ७८. आदित्य संवत्सर, ७९३ ऋतु संवत्सर, ८०६ चंद्र संवत्सर और F१८७१ नक्षत्र संवत्सर, इतने काल में अभिवर्धन, आदित्य, ऋतु, चंद्र व नक्षत्र संवत्सर का समान पर्यवसान
होवे, एक युग में अभिवर्धन के माम ५७ हैं इसे पूर्णांक में लाने से ७४४ भाग १३ के हुवे. इस को १५६ से गुण कर १२ का भाग देना. ७४४४१५६%D११६०६४१२=९६७२ भाग १३ के हो. इसे पूर्णाकमें लाने को १३का भागदेना ७४४ संवत्सर होवे. एक अभिवर्धन संवत्सरके ३८३दिन २१
दश चंद्र प्राप्त सूत्र-पष्ट उपाङ्ग
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