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________________ उत्ता एएणं उउसंवकरा, अटुसया च्य एएणं चंद संवच्छरा, मट्ठसय एगुसरा एएणं पक्खत्त संवच्छरा, तयाणं एए अनिवडए मादिच उउ चंदे मक्खत्ते संबछरा समदिता समपजवसिया आहोति वदेजा,॥ १२ ॥ ताणय उत्ताणं एएचंद सबन्छ। तिण्णि चउप्पणे राइदियसते दुगलसय वाट्टी भागे राइदियरस आहिति मत है. इ7 से ७४४ मार को मथ गु. मे २८५४८० दिन होवे. एक गुा में आदित्य माम १६. उमे १५६ मे गुने से १३.६..मास हा उस १२ का भाग देने से ७८० र हवे. एक अदिस्यसंवत्रके ३६६ दिन हाइ स७८-संवत्सरके २:५४८.नि होवे. एक युग में ऋतु मास६११ Fइसे १५६ से गुगने स. १०१६ मास होने इस को बारह मे मग दो से ७१३ सरस्पर होवे. एक संव सर के ३६. न हैं इसे ७१३ १ गुणने से २८५४८. दिन हावे. एक युग के चंद्र पाम ६९ हैं उन ११०६ म गण मे ९६७२ माम होवे. जो बारह का भगदमे ८.६ तर हावे. एक चंद्र के ३५४ निइसमे ८.६ बस्तर के २८५४८० दिन होवे, एक युग में नक्षत्र पास ६. हैं उन १५६ से गुणने म १०४.२ होो, इसको १२ का भाग देर से ७१वत्सर होवे, एक संवत्सर। ३२७ दिन का है. इस से ८७१ संवत र. २८५४८. दिनोवे. यहां पर नय से कितनेक अन्य तथा को समनाने के लिय कहते हैं, उक्त चंद्र संवत्सर को ३५४ अहोरात्रि व १२ भाग ६२ ये अनुगदक ब्रह्मनागमाने श्री अपने कषिजी •प्रकाशक-गजामहादरलाला सवदवमहायजी ज्वालाप्रमदाजा . • Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600254
Book TitleAgam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_chandrapragnapti
File Size8 MB
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