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श्री अमोलक अपिजी
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वाव?'एए चंदमासा सत्तट्ठी एए नक्खत्तमासा,एसणं अहा दुधालसवात्तक पालस HE भत्तिता सट्टिएए आदिच 'संवच्छरा एगट्टिएए उउ संवच्छरा बावट्ठीएए चद संवच्छरा
सत्तसट्ठीएए नक्खत्त संबच्छरा तयाणं एए आदिच्च ऊऊ चंद णक्खत्ते संवच्छ।
समादिता समपजवासया आहितेति वदेजा ॥ ११ ॥ ता कयाणं एए अभिवड्डिय ऋतु संवत्सर,६२ चंद्र संबस्तर और६७ नक्षत्र संवत्सर में आदित्य, ऋतु, चंद्र व नक्षत्र संवत्सर का समान पर्यवमान होरे, आदित्य संवत्सर के मास६. उन को बारह गुना करने से ७२० हो और बारह देने से ६० हजे. आदित्य संवत्सर के ३६६ दिन हैं इसे ६० से गुना करते २१९६० दिन होवे.
नु माम ६१ हैं उनको बारह गुना करने से ७३२ मास होवे, उसे बारह का भाग देने से ६१ संवत्सर होते. एक ऋतु संवत्सर के ३६० दिन हैं उपते ६. गुग करने से २११६० दिन होवे. चंद्र मास १६२ है उसे बारह गुना करने से ७४४ हावे और बारह का भाग देन से ६२ होये, एक चंद्र संवत्सर के ११.४ दिन १२ भाग ६२ या है, उस १२ गुना करने से २१२६० दिन होवे. नक्षत्र मास ६५ हैं उसे ११२ गुम करने से ८.४ मास हावे, इन को संवत्सर करने को १२ का भाग देने से ६७ होवे, एक नक्षत्र संवत्सर के ३२७ दिन ५१ भाग ६७ ये का है, इसे ६७ से गुना करने ११९६० दिन होते. इस से रक चारों संवत्सर का समानपना बतलाया ॥११॥ अहो .भगवन् ! अभिवर्धन संवत्स
4 अनुदानबालब्रह्मचारी
प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदवसहायजी मालाप्रसादजी •
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