SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 320
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ** ॐ 12 मामा बाबा? एए चंदमासा एमणं अहालखुत्तकडा दुवालग भत्तिया,तिमा ९ए अादिश्च * संबच्छरा एकती एए चंद स च्छग.त्यागं एए आदच वद मच्छरा समादिता रूपज वसिया आहिति बदजः॥१०॥ ता कपाणी एए आदिश्च उउचंद नखत्ता संवच्छरा सम दिता समाज लिया अहाते वदन,ता मट्टीएए अदिचART एरिए उउम सा होता है. इ. को काल में ६ गुनकर बारह भाग देना. इसमें ३० आदित्य सरसर व ३१. चंद्र संवत्सर में देनों मंत्मा का पर्यवसान समान होते. एा या आदित्य मान ६० हैं उसे ६ गुना रने से ३६० पास होग, इन वाम का एक संवत्सर हनेम बारह में भाग देना. इस स ३० आदित्य संवत्सर हुआ. एक आत्य स त्सर २३६०दिन हैं इ.१३. से गुणने से१.९८.दिन होणे. अव एक यग में चंद्रमास ६२ हैं. उ। छ गना करने से ३७२ म स हुए. इस के मंवत्पर करने को १२ सभाग देना, इमरी ३१मवतार होय. एकद्र संवत्ला ३५४ दिन १२ भाग ६२ या है, इम कोई |२१ स गुणने से १०१८० दिन हो. इस सदन संवत्सर के अंत में समानता हुई ॥१०॥ अहो १४ मावन् ! आदित्य, ऋतु, चंद्र ३. नक्षत्र संब.सर बमम अदि व सम पर्या -वाले होते हैं? अहो गातम ! एक यु। क ६. आदित्य मास हैं, ६१ ऋतुमा हैं, १२ चंद्र म स हैं और ६७ क्षत्र मास है. इन च.रों प्रकार के मास को बारह गुर कर के वारह से भाग देना इस मे साठ आदित्सवत्सर, ६१/ 28- बारहा पाहुडा ' Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600254
Book TitleAgam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_chandrapragnapti
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy