________________
-
बादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी
मास के मुहर्त का यंत्र. चरइ तंजहा सम्वन्भंतरंचेव मंडलं सववाहिरंचे। . । यग कपक मास एक प स | मंडलं ॥ ५ ॥ जदि खलु तस्सेय आइच
मास के दिन के मुहूर्त | संबच्छरस्स सयं अट्रारस महत्ते दिवसे भवइ, नक्षत्र माम ६१ २७-
२ ८१९ सयं अदारस महत्ता राइ भवइ, सय दुवालस सूर्य म.स ६० ३०॥ ९.५ चंद्र पाम | ६२ २९॥ ८८५ मुहत्त दिवस भवइ, सयं दुवालस महत्वाराई ऋतु मास | ६१ ३०९०० भवइ, सेपढमे छम्मासे. अत्थि अट्ठारस
मुहुत्ता राई, णत्थि अट्ठारस मुहुत्ते दिवसे, अत्थि दुवालम मुहत्ते दिवसे,
नत्थि दुवालस मुहुत्ता राई भवइ ॥ दोच्चे छम्मासे अस्थि अट्ठारस मुहुत्ते दिवसे अंतिम मांडले में जाकर पीछा दुसरे पर आ जाता है इस से दोनों माडले पर एक वक्त ही चलता है ॥५॥ प्रश्न-इस आदित्य संवत्सर में क्या कभी अठ रह मुहूर्त का दिन, कभी अठारह मुहुर्त की रात्रि, कभी बारह मुहूर्त का दिन व बारह मुहूर्त की रात्रि होवे ? उत्तर-पहिले के छ मास में अर्थात् सूर्य १८४ वे मांडले पर होता हैं तब अठारह मुड़ की रात्रि होती है परंतु अठारह मुहुर्त का दिन नहीं होता है, और बारह मुहूर्न का दिन होता है परंतु बारह मुहूर्न की रात्रि नहीं होती है अर्थत् जब अठारह मुहून की रात्रि होती है तब बारह मुहूर्त का दिन होता है और बारह मुहूर्त का दिन होता है तब अठारह मुहूर्नकी रात्रि होती है. दुमर छ मास में अर्थात् पहिले मांडले पर जब सूर्य होता है तब अठारह मुहूर्त का दिन
* प्रकाशक-गजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी.
अर्थ
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org