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सप्तदश चंद्रम-मत्र पठ-पाङ्ग 48
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तः एतेसिणं पंचण्ह संवच्छराणं तच्चं अमावास धंदे पुच्छा, ता हत्थेणं इत्थण चत्तारिमुहुत्ता तीसं च वावट्ठीभागा मुहुनस्स, वावट्ठी भागंच सत्तसट्रिया छेत्ता चउसट्ठी चुणिया भागा सेमा । तं समयं चणं सूरे केणं पुच्छ। ? ता हत्थेणं घेवं हत्यगं जंचेव चंदस्त ॥ १८ ता एतेसिणं पंचाहं संवच्छरार्ग दुवालसमं अमावास
पुच्छा ? ता अहाहि अदाणं चत्तारि मुहत्ता दसयवाक्ट्ठी भागा मुहत्तस्स वात्रट्ठी इन पांच संवत्सर में विक्षरी अभावारूपा को चंद्र कौनस नस की साथ योग करता है ? तीसरी अमावास्या को हैरत नक्षत्र योग करता है. इस नक्षत्र का चा मुहूर्त ३० भाग ६२ ये ६४ भाग ये शेष रहे तब तीसरी अमावास्या संपूर्ण होवे. इस समय सूर्य कौनसे नक्षत्र की साथ योग करता है ? इस समय सूर्य हस्त नक्षत्र की साय योग करके अमावास्या संपूर्ण करे. यह हस्त नक्षत्र चार मुहूर्त. ३०१ भ.ग ६२ या और ६४ भाग ६७ ये शेष रहे और सूर्य नक्षत्र ६० मुहूर्व १८ भाग ६२ या शेष रहे तब तीपरी अमावास्या संपूर्ण हे वे. इस की गिनती प्रथम अमावास्या जैसे ही लेना परंतु इस में २५ से मुणा करना क्यों की यह २॥ मास में पूर्ण होते. ॥ १८॥ इन पांच संवत्सर में बारहवी अमावास्या कौन से नक्षत्र में संपूर्ण होने ? बारहवी अमावस्या को चंद्रमा आर्द्रा नक्षत्र की साथ योग करता है. यह आ नक्षत्र चार मत १० भाग ६२ ये ५४ भाग ६७ ये शेष रहे तर बारहवी अमास्या संपूर्ण होती हैं।
दशवा पाहुडे का बावीसवा अंतर पाहुडा
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