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__णं एक्को मुहतो चत्तालसिं च वावट्ठी भागा मुहत्तस्त वावट्ठि भागं च सत्त सट्ठिया
छत्ता छावट्टि चुणिया भागा संसा ॥ १६ ॥ ता एतेसिणं पंचण्हं सच्छराणं दोच्चं अमावास चंदे पुच्छा? ता उत्तरा फग्गुणिहिं उत्तराफग्गुणीणं चत्तालीसं मुहुत्ता पणत्ती संच वावट्ठी भागा महत्तस्स वावट्ठो भागंच सत्तसट्ठिया छत्ता पगट्ठी चणिया भाग! सेला।। तं सन्यं चणं सूरे केणं णवत्तेणं पुच्छा ? ता उत्तराहिं फग्गुणहिं उत्तराण फग्गुणीण चत्तालीसं मुहुत्ता तंचेव जाव पण्णट्टी चुणिया भागासेसा ॥ १७ ॥
अर्थ
अनवादक-बाल ब्रह्मचारी पनि श्री अमोलक षिजी
भाग के महुर्त करने को १२से भाग देना इस से १ मुहूर्त ४० भाग ६२ ये हवे इस से चंद्र नक्षत्र अश्लपा महूर्त ४० भाग ६२ ये ६६ भाग ६१ ये सूर्य की माथ शेप रहन पर प्रथम अमावास्या पुर्ण करे. ॥ १६ ॥ इन पांच संवत्सर में दूसरी अमावास्या को चंद्रमा कौन नक्षत्र की साथ योग करके
पूर्ण करे? दूसरी अमावास्या को उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र योग करे. इस नक्षत्र का ४० मुहूर्त ३५ भाग ६२ य और १५ चगणये भाग ६७ ये शेष रहे नव दुमरी अमावास्या संपूर्ण हाव. इस का गणित प्रथम अमावास्या जैस जानना. इस से दूसरी धृतराशिका देदा करना क्यों कि यह अमावास्था देढ मास में पूर्ण होती हैं. इस समय सूर्य कौनमा नक्षत्र की साथ योग करता है? इस ममय सूर्य उत्तराफ ल्गुनी नक्षत्र की वाथ योग करें यह उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र ४ - मुई। ३५ भाग ६२ ये और ६५ चूरणिये भाग ६७ ये शेष रहे। तत्र और मर्य नक्षत्र ५४३ मुहूर्न ४८ भाग ६२ये शेष रहे तब दूसरी अमावास्या संपुर्ण होवे ॥ १७ ।।
• प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवमहायजी ज्वालाप्रसादजी.
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