SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 283
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सूत्र भर्थ * भागंच सत्तसट्टियं छेत्ता पंचसटिचुणिया भागा सेसा तं समयं च णं सूरे केण णक्ख भाग ६७ये बाद करना इससे २६ मुहूर्न ४२भ ग६२ ये दो भाग६७येष्टा नक्षत्र का साथ योग करता है. यह धनिष्टा नक्षत्र तीस मुहून का है, इस से धनिष्टा के मुहूर्त में से पूर्वोक्त महर्न बाद करने से तीन मुहूर्त १९५ ६२ य ६५ भाग ६७ ये इतना काल धनिष्टा नक्षत्र पूर्णिमा संपूर्ण होने पर शेष रहत है. अब सूर्य की साथ नक्षत्र के योग पूर्णिमा मंपूर्ण हाव यह नीकालने का यंत्र-गंच संवत्सर में चंद्र पास बासठ है और सूर्य की साथ एक २ नक्षत्र पांच वार परिभ्रण करते हैं मंच संवत्सर की १८३० अहोराधि हैं। इस से १८३० को पांच का भाग दने से ३६६ पूर्ण अव. इन ३६६ दिन में सूर्य के अट्ठाइस नक्षत्रों की साथ योग करता है. इस के मुहूर्त के बामठ ये भाम करने को ३६६ दिन को ३० मे गुना करना, इस से १०९८० मुहूर्न होवे, इम को ६२ से गुना करना जिम में ६८०७६० भाग ६२ य हाव. यह एक नक्षम बर्ष हावे, यह प्रथम नगशि हुइ. चंद्र मासकी धृवगशि पांच मंबार के १८३ ई दिन हाव, इम को वामठ मे भ ग देने मे २५ दिन .५ मुदत व ३० भाग १२ ये होवे, इम के मुहूर्न करने को २१ को ३० गुणा कर के १८वीलाना-२९४३०+१=3D८८५ गत होरे इम के बासठ य हभाग करने के लिये १२ से गुणा कर के ३० मैलाना ८८.४६२+३०००४०००. यह चंद्र मान के - भाग हवे. यह दूसरी धरराशि हुइ. सूर्य कोन से नक्षत्र की साथ योग करता हुवा प्रथम चंद्र मास ममाप्त करे यह नाकालने का दूसरी वरााश को एक से गुणाकर के प्रथम प्रगशि से भाम देना. इस तरह 4 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी । मका राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायनी घाल? * Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600254
Book TitleAgam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_chandrapragnapti
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy