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तेणं जोग जोतंति ? पुव्वाहि फग्गुणिहिं । पुवाफग्गणी अट्ठावीसं च मुहुत्ता अटुतीसं
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भाग देने कोई भी पर्णक नहीं आता है, इसलिये इम के मुहर्न करने को ६२ में भाग देना जिससे V१८८५ महून व ३० भाग ६२ ये होने. अव प्रथम युग पठने के प्रथम समय में सूर्य की साथ पुष्य नक्षत्र
१३८ मूह में पूर्ण होकर १३१ मह २६४ मुहूर्त पर्यंत योग कर के नक्षत्र की समाप्ति होग, इससे पष्य नक्षत्र से गिनती करना. प्रथम पूर्णमास संपूर्ण होने सूर्य ८८५ मुहूर्त३ : भ ग १२ये तक नक्षत्री साथ योग करे, और मघा
* सप्तरश चंद्र प्रज्ञप्त सूत्र पठ-पाङ्ग
484 दशवा पाहुड का इक्की सवा अंतर पाहूडा 428
पूष्य
८४३० ८६३१
अश्लेषा
६५ विशावा । मघा
८६७
| अनुराधा पू.फिल्गु १२०१ ज्येष्ट उत्त फाल्नी १८७२ |मूल
२२७४ पूर्वाषाढा
उत्तरपाढा
२८७७ | अभिजित
अश्विन ३४८० श्रवण ६.१८ भरणी ૨૮૮૨ धन्टिा
कृत्तिका |शनभिषा ६६२१ रोहिणी ४४.५ पूर्वाभाद्रपद । ७००३ मृगशर ४८८७ उत्तरभाद्रपट .७६२६ आर्दा ५४१०. राति ८०२८ पुनर्वसु
| पूष्य
Vvod० ०.
चित्रा.
१०२३९ १०८४२
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