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________________ 2 प्रज्ञप्ति सूत्र-पष्ट उपाङ्ग 48 सप्तदश चंद्र ___ जोतेति? ता धणिट्ठा हं धाणि? तिणि मुहुत्त एकूणवीसं च बावट्ठी भागा मुहत्तस्स,वावट्ठी मी ३४०३८००. यह एक नक्षत्र मास की पाश हुई. अब चंद्रमास की धवराशि वताते हैं. पांच संवत्सर के १८३० दिन, इस को ६ भाग देने से २० दिन १५ मुहुर्त और एक मुहूर्त के वामठी ३० भाग हो. इस के चरणिये भाग करने के लिये दिन को ३० से गुना करना और स में १५ मीलाना १२९४३०+१५%3D८८५. उस को १२ से गुना करके ३० मीलाना ८८५४६+३०-५४१००. उसे " ६७ से गुना करने से ३६७८३०० चाणये भाग चंद्रमास के हुने. यह दूसरी धूवराशि हुई. चंद्रमा कौनसे नक्षत्र की साथ योग करके प्रथम मास संपूर्ण करे, यह जानने क लिये दूसरी धृवराशि को एक से गुना करके प्रथम धृवराशि से भाग देना. ३६७८३००x१-३६७८३००-३४०३८.८ इसी से एक पूर्ण आवे और २७४५०० शेष रहे. इस को ६२ ये भाग करने के लिये ६७ से भाग देना, जिस से ४०१७ पूर्ण भाग हुये, और शष एक रहा. इस के मुहू करने को ६२ से भाग देना जिसमें से ६६ मुहूर्त और ५ भाग शेष रहे. अर्थात् एक माम पूर्ण होने में एक नक्षत्र मास, ६६ मुहूर्न, ५ भाग १६२ ये, और एक भाग ६७ होवे. युग के प्रारंभ मे है. चंद्रमा का साथ अभिजित नक्षत्र का योग होता है, वह नक्षत्र ९ मुहूर्त २४ भाग ६२ ये व ६६ भाग ६७ ये तक रहता है. इस से आगे श्रवण नक्षत्र तीस मुहूर्त तक रहता है, इस से १६ मुहू ५ भाग ६२ये भाग ६७ये में से३९महर्न २४ भागहरयः । 43+दशा पाहुड का बावीसवा अंतर पडा - Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600254
Book TitleAgam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_chandrapragnapti
File Size8 MB
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