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सप्तदश चंद्र प्रज्ञप्त सूत्र षष्ठ-उपाङ्ग 4800
छन्वीसं पव्वा पण्णत्ता ॥ चउत्थस्सणं चंद संवच्छरस्स चउवीसं पव्वा पण्णत्ता ॥ पंचमस्सणं अभिवाड्रेय सवच्छरस्स छव्वीसं पव्वा पण्णत्ता॥एवामेव सव्वावरणं पंच
सवच्छरिए जगे एग चउविस पव्वयसते भवति तिमक्खायं ॥ ३ ॥ ता पमाण सो बारह अमावस्या और चारह पूर्णिमा. यह चंद्र मंवत्सर बारह माम का है. चंद्रमास २० अहो रात्रि १३२ भाग ६२ या का है. इस का बारह गुना करन से ३५४ दिन १२ भाग ६२ ये का एक चंद्र संवत्मर होवे. दूसरे चंद्र संवत्सर के चौबीम पर्व कह हैं. बारह अमावास्या और बारइ पूर्णिमा. यह चंद्र मास २० दिन ३२ भाग १० ये का है, इम को बारह गुना करने से ३५४ दिन १२ भाग १६२ य का एक संव-मर होये. सामर। अश्विन संवत्सर है इसमें २६ पूर्व हैं तेरह अमावास्या तेरह
पूर्णमा. अभिवर्धन संवत्सर में चंद्र मास तरह हैं, चंद्र मास २० दिन ३२ भाग ६२ ये का है. Parइम को तेरह गुना करने से ३८३ दिन ४४ भाग ६२ य का एक अभिवर्धन संवत्सर होवे. यहां एक
अधिक मास क्यों वहा? उत्तर-तीस मूर्य मास में एकतीस चंद्र मास होवे, मर्य मास ३०॥ दिन का है। और चंद्र मास २९ दिन ३२ भाग ६२ ये का है. इस से ३०॥ में से २७ बाद करने मे ६१ भाग १६२ ये शेष रहे. उस को तास से गुना करने मे १८३० हावे. फोर इस को ६२ का भाग देने से २९११
दिन हाव. इस स एक अधिक मास हुवा. सूर्य के २९ मास और तीसवे मास के एक दिन के ६१ भाग १६२ ये गये पीछे चंद्र मास तीस संपूर्ण हो और वहां से अधिक मास का प्रारंभ होवे. सर्य मास तीस संपूर्ण होवे तब अधिक मास भा संपूर्ण होवे, चौथा चंद्र संवत्सर के चौबीस पर्वो कहे हैं. बारह अमावास्या और बारह पूर्णिमा. यह चंद्र संवत्सर बारह मास का है. और चंद्रमास २९ दिन का है।
48+ दशवा पाहुढे का बीसवा अंतर पाहुडा 498
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