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________________ सत्र 4980 80 488 सदश्च चंद्र प्रज्ञाप्ती सूत्र षष्ठ-उपाङ्ग कुलैणवा जुत्ता,कुलावकुलेणवा जुत्ता सावट्ठि पोणिमाजुत्ताप्ति वत्तव्वसिया ॥ता पुटुवतीपुणिमं किं कुल जोतेति उवकुलं जातति, कुलाबकुलं जोतात?कुलं जोएमाणे उत्तरापोटु बएणक्खत्ते जातेति, उक्कुलं जोएमागे पुवापोवधा णक्खत्त जोतेति, कुलावकुलं जोएमाणे सतभिसया खत्ते जातेति ॥ पाटुक्ता पुष्मिमासाणं कुलवा जोएति, उपकुलं. वाजोएति, कुलाबकुलंवा जाएति तंचव जाव पोटुवया पुणिमा जोतेते वत्तव्यंसिया ॥ सा आसाइणं पुण्णमासीणं किं कुलं जोतेति पुच्छा, ता कुलंपिजोतति उपकुलंपि नक्षत्र का योगकरे, अथवा उपकुल नक्षत्र का योग करे. व कुडे पर नक्षत्र का योग करे कु उ नक्षत्र का योगकरे तो उत्तराभाद्रपद, उपकुल नक्षत्र का योग करे तो पूर्वाभाद्रपद और कुटो कुल नक्षत्र का योग करे तो शतभिषा. इसीसे भाद्रपद मास की पूर्णिमा कुल नक्षत्र का योग करे, उपकूल नक्षत्र का योग करे, और कुलकूल नक्षत्र में का योम करे. और इसी से भाद्रपद मास कुल नक्षत्र से युक्त, उपकुल नक्षत्र से युक्त व कुठे कुल नक्षत्र मे युक्त है. आश्विन मास की पूर्णिमा की पूच्छ ? अहो शिष्य ! कुल नक्षत्र का योग करे और उपकल नक्षत्र का भी योग करे परंतु कुलोपाल नक्षत्र का योग नहीं करे. कुछ नक्षत्र का योग होवे *तो अश्विनी और उपकुल नक्षत्र का योग होवे तो रेवती इस से आश्विन पूर्णिमा कुल अथवा उपकुल नक्षत्र का योग करे. इसी से आश्विन पूर्णिमा कुल अथवा उपकुल नक्षत्र से युक्त होने. यह अधि ' दशवा पाहुई का छठा अतर पाहुडा - -- Jain Education Interational For Personal & Private Use Only www.ainelibrary.org
SR No.600254
Book TitleAgam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_chandrapragnapti
File Size8 MB
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